अक्षय पात्र की सामुदायिक रसोई का शुभारंभ, 10 हजार बच्चों को मिलेगा पौष्टिक भोजन

अक्षय पात्र द्वारा निर्मित 67वीं केन्द्रीयकृत रसोई महिलाओं द्वारा पूर्णरूपेण संचालित की जाने वाली प्रथम रसोई है। रसोई में भोजन को पकाने में स्थानीय समुदाय की महिलाओं की सक्रिय भागिदारी होगी। संस्था द्वारा इस रसोई से 50 गांवों के 97 परिषदीय विद्यालयों के 10 हजार छात्रों तक गरमा गरम एवं पौष्टिक भोजन उपलब्ध कराया जाएगा।

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अक्षय पात्र फाउंडेशन की पहली सामुदायिक एवं 67वीं केन्द्रीयकृत रसोई घर का उद्घाटन रविवार को बरसाना क्षेत्र के आजनौख ग्राम में मथुरा की सांसद हेमा मालिनी ने किया। इस मौके पर उन्होंने कहा कि अक्षय पात्र के माध्यम महिलाओं द्वारा संचालित यह प्रकल्प महिला सशक्तिकरण के नवीन कीर्तिमान को स्थापित करेगा।

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की मथुरा से लोकसभा सांसद हेमा मालिनी ने आयोजित समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि अक्षय पात्र भारत में 67 से ज्यादा रसोई का संचालन कर रहा है। उन्होंने अक्षय पात्र को महाभारत काल की द्रोपदी की कथा से जोड़ते हुए कहा कि भगवान कृष्ण ने जिस तरह द्रोपदी के अक्षय पात्र में सबके लिए भोजन उपलब्ध कराया था उसी अवधारणा पर श्रीकृष्ण और राधा रानी की लीला भूमि में इस अक्षय पात्र से हजारों बच्चों को हर दिन भोजन उपलब्ध कराया जाएगा।

कार्यक्रम के विशिष्ठ अतिथि शैलजाकांत मिश्र ने कहा कि अक्षय पात्र सम्पूर्ण भारत में अपने सेवा कार्यों के लिए जाना जाता है। उन्होंने कार्यक्रम में आए सभी से अनुरोध किया कि वह अक्षय पात्र के साथ जुड़कर समाज को नई दिशा प्रदान करने में अपना योगदान दें।

संस्था के उपाध्यक्ष चंचलापति दास ने कहा कि अक्षय पात्र द्वारा निर्मित 67वीं केन्द्रीयकृत रसोई महिलाओं द्वारा पूर्णरूपेण संचालित की जाने वाली प्रथम रसोई है। रसोई में भोजन को पकाने में स्थानीय समुदाय की महिलाओं की सक्रिय भागिदारी होगी। संस्था द्वारा इस रसोई से 50 गांवों के 97 परिषदीय विद्यालयों के 10 हजार छात्रों तक गरमा गरम एवं पौष्टिक भोजन उपलब्ध कराया जाएगा।

वहीं संस्था के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं ट्रस्टी भरतर्षभ दास ने बताया कि इस रसोई के साथ ही बरसाना में एक सामुदायिक भवन का भी निर्माण किया जा रहा है, इस सामुदायिक भवन का प्रयोग स्टाफ और आसपास के समुदायों के लिए प्रशिक्षण सत्रों के आयोजनों के लिए किया जायेगा। अक्षय पात्र के इस नए रसोईघर में दूषित जल के उपचार हेतु एटीपी का निर्माण कराया गया है। पर्यावरण संरक्षण को ध्यान में रखते हुए संस्था के द्वारा विद्युत चलित वाहनों का उपयोग किया जाएगा। इन वाहनों का उपयोग स्थानीय किसानों से कच्चा माल लेने और विभिन्न समुदायों तक अपने कार्यक्रमों को पहुंचाने में भी किया जाएगा।

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