Shajar stone: 10 लाख की लागत, डेढ़ साल की मेहनत से हस्तशिल्पी ने बनाया भगवान राम का मंदिर, जानें क्या है खास

जी-7 सम्मेलन में भाग लेने जर्मनी गए प्रधानमंत्री मोदी ने वहां अमेरिका के राष्ट्रपति जो. बाइडन को शजर पत्थर का कोट में लगाने वाली बटन (कफलिंक) भेंट की थी। इसके पहले ब्रिटेन के मंत्री को कफलिंक सौंपी थी।

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अयोध्या (Ayodhya) में नवनिर्मित श्रीराम जन्मभूमि मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा (Ramlala’s life prestige) को लेकर पहले दुनिया भर में भक्तों में उत्साह का माहौल है। इसी बीच उत्तर प्रदेश के बांदा जिले (Banda district) के रहने वाले हस्तशिल्पी द्वारिका प्रसाद सोनी (Handicraft Dwarika Prasad Soni) ने कड़ी मेहनत के बाद केन नदी में पाए जाने वाले शजर पत्थर (Shajar stone)से एक छोटा श्रीराम मंदिर (Shri Ram Temple) बनाया है। इस पर लगभग 10 लाख की लागत आई है। मंदिर में रामलला को भी विराजमान किया गया है। शनिवार को इस मंदिर को रामलीला मैदान में लोगों को अलोकनार्थ रखा गया, जिसे देखकर हर कोई आश्चर्यचकित रह गया।

ओडीओपी में शामिल है शजर पत्थर
जिले के केन नदी में पाया जाने वाला शजर पत्थर एक जिला एक उत्पाद (ओडीओपी) में शामिल है। यह ए ग्रेड श्रेणी का सबसे मजबूत और महंगा पत्थर है। इसमें पेड़-पौधों और प्राकृतिक छटाओं की सुंदर छवि स्वतः अंकित हो जाती है। नदी में शजर की पहचान कर उसे काटने और तरासने की लंबी प्रक्रिया है। इसके बाद शजर की असली तस्वीर सामने आती है और तभी इसकी कीमत भी तय होती है।

विदेश भेजे जाते हैं ज्वेलरी और कीमती उपहार
दो दशक पहले यहां इसे तरासने वाले 70-80 कारखाने थे। अब इनकी संख्या बहुत कम रह गई है। यहां के शजर से बनी ज्वेलरी और बेस कीमती उपहार विदेश तक भेजे जाते थे। शजर की अनोखी और बेहतरीन कारीगरी के लिए यहां के शिल्पकारों को कई बार राष्ट्रीय स्तर पर पुरस्कृत भी किया जा चुका है।

राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित है द्वारिका प्रसाद सोनी
राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त द्वारिका प्रसाद सोनी अपने हुनर से अनेक कलाकृतियां बना चुके हैं। उनके द्वारा ताजमहल, कालिंजर दुर्ग के अलावा अनेक सजावटी कलाकृतियां बनाई गई हैं। जिसकी विदेश में भी प्रशंसा हुई है। शजर की मांग मुस्लिम देशों में ज्यादा है क्योंकि मुस्लिम इस पत्थर को बहुत शुभ मानते हैं।

डेढ़ साल की कड़ी मेहनत से बनाया राम मंदिर
रामलीला ग्राउंड में अपने मंदिर के साथ मौजूद द्वारिका प्रसाद सोनी ने बताया कि जब मुझे राम मंदिर निर्माण जल्दी होने की जानकारी मिली तभी मेरे मन में शजर पत्थर से राम मंदिर बनाने का विचार आया। इसके बाद मैंने चुन-चुन के पत्थर तरासने शुरू किए और मंदिर बनाना भी शुरू किया। करीब डेढ़ साल की कड़ी मेहनत के बाद अंततः राम मंदिर को बनाने में कामयाबी मिल गई।

प्रधानमंत्री को सौंपने की इच्छा
सोनी के मुताबिक इस मंदिर में शजर के कई पत्थरों का समागम है। उनका सपना है कि वह अपने हाथों से इस मंदिर को प्रधानमंत्री मोदी को सौंपें, इसके लिए उनका प्रयास जारी है। उनका कहना है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के सानिध्य में यह मंदिर प्रधानमंत्री को भेंट स्वरूप देने की इच्छा है।

कई राष्ट्राध्यक्षों को भेंट किया जा चुका है शजर का कफलिंक
उल्लेखनीय है कि जी-7 सम्मेलन में भाग लेने जर्मनी गए प्रधानमंत्री मोदी ने वहां अमेरिका के राष्ट्रपति जो. बाइडन को शजर पत्थर का कोट में लगाने वाली बटन (कफलिंक) भेंट की थी। इसके पहले ब्रिटेन के मंत्री को कफलिंक सौंपी थी। 2022 में ब्रिटेन के मंत्री भारत दौरे पर आए थे। लखनऊ में मुख्यमंत्री आदित्यनाथ ने उनकी अगवानी की थी और उन्हें कफलिंक भेंट किया था। तीन जून 2022 को लखनऊ में ब्रेकिंग सेरेमनी कार्यक्रम में देशभर से उद्योगपति आए थे। तब प्रधानमंत्री ने कार्यक्रम में नक्काशी कर तैयार की गईं शजर की कलाकृतियों की सराहना की थी।हि.स.)

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