अब किसानों के विरोध में उठी ये मांग!

किसान आंदोलन जल्द सिमटता नजर नहीं आ रहा है। इस बीच दिल्ली की सीमाएं किसानों ने घेर रखी है। इसके कारण सामान्य आवागमन और आपूर्ति पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। ये आंदोलन करने के आधिकारों की आड़ में जन सामान्य के मौलिक अधिकारों के साथ छेड़छाड़ है।

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दिल्ली की सीमाओं को किसान घेरे बैठे हैं। शहर में पड़ोसी राज्यों से आनेवाले कर्मचारी और रसद आपूर्ति बुरी तरह प्रभावित हो रही है। इसको देखते हुए अब किसानों को सीमाओं से तत्काल हटाने के लिए सर्वोच्च न्यायालय में याचिका दायर की गई है।

दिल्ली में प्रतिदिन लगनेवाले आवश्यक सामानों के मूल्य बढ़ रहे हैं। सीमा से दिल्ली में प्रवेश के लिए लोगों को घंटो का ट्राफिक जाम झेलना पड़ा रहा है। जन सामान्य की इस पीड़ा को लेकर रिषभ शर्मा नामक एक शख्स ने याचिका दायर की है। इस याचिका में रिषभ शर्मा ने किसानों द्वारा सड़कों को जाम करने से जनता को हो रही दिक्कतों और आवागमन में असहजता को रेखांकित किया है। किसान आंदोलन को लेकर रिषभ शर्मा की प्रथामिक याचिका सर्वोच्च न्यायालय में प्रलंबित है। इस पर 11 जनवरी 2021 को अगली सुनवाई होनी है। इस पर मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे की तीन सदस्यीय खंडपीठ सुनवाई कर रही है।

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प्रतिज्ञापत्र के मुद्दे

किसान दिल्ली के टिकरी, सिंधु, गाजीपुर, दिल्ली रोहतक हाईवे की सीमाओं पर 26 नवंबर 2020 से बैठे हुए हैं। इसको लेकर याचिकाकर्ता ने समाचार माध्यमों के आधार पर प्रतिज्ञा पत्र दायर किया है। इसके प्रमुख बिंदु इस प्रकार हैं…

  • अमित साहनी विरुद्ध पुलिस आयुक्त व अन्य के मामले में सर्वोच्च न्यायालय का आदेश है कि सार्वजनिक जगहों को अनिश्चितकाल के लिए आंदोलन के नाम पर घेरकर नहीं रखा जा सकता।
  • यह प्रतिज्ञापत्र न्यायालय के 16 और 17 दिसंबर 2020 के आदेश के आधार पर है जिसमें किसानों को हिंसा, नुकसान रहित, जनता को क्षति पहुंचाए बगैर आंदोलन जारी रखने के लिए अनुमति दी गई थी।
  • दिल्ली के चिल्ला सीमा और उत्तर प्रदेश के मोरादाबाद में किसानों ने हिंसात्मक प्रदर्शन किया था। इसमें जनता को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ा था।
  • इन प्रदर्शनों के कारण आम जनजीवन में दिक्कतें आ रही हैं। ट्रैफिक जाम के कारण नौकरी धंधेवाले दिल्ली जाने में दिक्कत झेल रहे हैं। इससे उनके जीवनयापन की दिक्कत खड़ी हो गई है।
  • प्रतिज्ञा पत्र में निर्दिष्ट किया गया है कि यह सर्वोच्च न्यायालय के शाहीन बाग पर दिये गए निर्णय का उल्लंघन है।
  • किसानों द्वारा सीमाओं को घेरने से आवश्यकताओं के सामानों का मूल्य तेजी से बढ़ा है। इसके लिए मीडिया रिपोर्ट को उद्धृत किया गया है।
  • एक दूसरी मीडिया रिपोर्ट का उल्लेख करते हुए बताया गया है कि किसानों के आंदोलन के कारण प्रतिदिन 3500 करोड़ रुपए का नुकसान उठाना पड़ा रहा है।

 

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