Diwali: बाजारों में बढ़ी मिट्टी के दीयों की मांग, चाईनीज से हो रहा मोहभंग

बाजारों में भले ही चाइनीस दीयों की मांग हो लेकिन मिट्टी के दीयों की अपनी खास पहचान है। बाजार में मिट्टी के दीयों की मांग बढ़ी है और रोजाना हजारों की संख्या में दीयों को तैयार किया जाता है।

449

रोशनी का त्यौहार दीपावली (Diwali) नजदीक है, ऐसे में हर घर में मिट्टी के दीए (earthen lamps) जले, इसके लिए कुम्हारों (potters) ने अपनी तैयारियां शुरू कर दी हैं। जगह-जगह दुकानें भी सज गई हैं। इस धंधे से जुड़े हुए कुम्हार कारीगरों ने बताया कि बाजारों में भले ही चाइनीस दीयों की मांग हो लेकिन मिट्टी के दीयों की अपनी खास पहचान है। बाजार में मिट्टी के दीयों की मांग बढ़ी है और रोजाना हजारों की संख्या में दीयों को तैयार किया जाता है। लेकिन मिट्टी कम मिलने से बहुत समस्या आ रही है और दीयों की मांग काफी बढ़ रही है।

मिट्टी के दीयों की मांग बढ़ी
दीपावली आगामी 12-13 नवम्बर को मनाई जाएगी। इस अवसर पर दीपों से अपने घर-आंगन को सजाने की तैयारी लोगों ने शुरू कर दी है। वहीं कुम्हार भी तेजी से दीये बनाने में जुट हुए हैं। बदलते ट्रेंड के साथ लोग डिजाइनर दीये भी खूब पसंद करने लगे हैं। वहीं पारंपरिक दीयों (traditional lamps)की खरीदारी अधिक हो रही है। चाइनीज दीयों से मोहभंग के चलते मिट्टी के दीयों की मांग बढ़ी है, वहीं सोशल मीडिया पर ऐसे दीयों की खरीदारी पर जोर देने के कारण भी इसका खासा प्रभाव पड़ रहा है। मिट्टी के दीपक बनाने का काम तेजी से चल रहा है। कुम्हारों के कच्ची मिट्टी के पक्के दीयों को खरीदने के लिए युवाओं में खासा उत्साह दिखाई दे रहा है। धन की देवी माता लक्ष्मी व गणेश का स्वागत करने के लिए दीयों के साथ-साथ कलश का भी ऑर्डर लोग देने लगे हैं। ओम व स्वास्तिक लिखा रंगीन कलश अधिक पसंद किया जा रहा है। साथ ही रंगोली (Rangoli) को लेकर भी लोगों की काफी दिलचस्पी रहती है। प्राचीन संस्कृति के लिहाज से मिट्टी के दीपकों का ही दीपावली में महत्व होता है।

मिट्टी मिलने की आ रही समस्या
दिनेश प्रजापति बताते हैं कि इस बार उम्मीद है कि कुछ ज्यादा दीपक की बिक्री हो, क्योंकि चाइना के बने सामना की खरीदारी कम हुई है। पिछले साल करीब तीस हजार दीपक व मिट्टी के अन्य सामग्री बेची थी। इस बार उम्मीद है कि पचास हजार से साठ हजार तक दीपकों की बिक्री होगी। लेकिन मिट्टी कम मिलने से बहुत समस्या आ रही है और दीयों की मांग काफी बढ़ रही है। वहीं, शिवकुमार प्रजापति ने बताया कि अब इलेक्ट्रिक चाक होने से काम तेजी से होता है। पहले हाथ का चाक होता था, लेकिन इस चाक से फटाफट दीपक व अन्य सामान तैयार किया जाता है। बिजली न आने की स्थिति में हाथ का चाक भी तैयार रखा जाता है ताकि काम प्रभावित न हो। इस पर दीपक, घड़ा, करवा, गमला, गुल्लक, गगरी, मटकी, बच्चों की चक्की समेत अन्य उपकरण भी बनाए जाते हैं। (हि.स.)

यह भी पढ़ें – मप्र विस चुनावः भाजपा के वरिष्ठ नेता प्रदेश के विभिन्न जिलों के प्रवास पर रहेंगे

Join Our WhatsApp Community
Get The Latest News!
Don’t miss our top stories and need-to-know news everyday in your inbox.