इस वर्ष भी बौद्ध सर्किट में नहीं आयेंगे चीनी सैलानी, ये है वजह

25 मार्च 2018 को कुशीनगर में चीन का आखिरी पर्यटक दल आया था। उस समय भारत–चीन सीमा विवाद चरम पर था।

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कुशीनगर में भारतीय बौद्ध सर्किट इस साल भी चीन के सैलानियों के बिना सूनी रहेगी। सरकार ने भारत चीन सीमा विवाद और कोविड–19 के चलते चीनी पर्यटकों के भारत आने पर लगी रोक जारी रखी है। चीनियों को टूरिस्ट वीजा जारी नहीं हो रहा है। यद्यपि चीन के नागरिक बिजनेस, एम्लॉयमेंट व ऑफिशियल वीजा पर भारत आ जा रहे हैं। इस आधार पर पर्यटन उद्योग से जुड़े लोग बौद्ध सर्किट को चीनियों के लिए खोलने की मांग कर रहे हैं।

एक अक्टूबर से शुरू होकर 31 मार्च तक चलने वाले पर्यटन सीजन के दौरान बड़ी संख्या में चीनी पर्यटक कुशीनगर सहित बुद्ध की जन्मस्थली लुंबनी (नेपाल), ज्ञान प्राप्त स्थल बोधगया और प्रथम उपदेश स्थल सारनाथ, नालंदा सहित अन्य महत्वपूर्ण बौद्ध स्थलों की यात्रा को भारत आते रहे हैं।

बौद्ध धर्म दुनिया का चौथा सबसे बड़ा धर्म
बौद्ध सर्किट के पर्यटन के विकास में चीन की अहम भागीदारी रही है। लगभग 500 मिलियन की वैश्विक आबादी के साथ, बौद्ध धर्म दुनिया का चौथा सबसे बड़ा धर्म है। अकेले चीन में 50 प्रतिशत बौद्ध अनुआई रहते हैं। जबकि थाईलैंड में 13 प्रतिशत जापान में 09 प्रतिशत, म्यांमार में 08 प्रतिशत श्रीलंका, वियतनाम और कंबोडिया में 3–3 प्रतिशत दक्षिण कोरिया व भारत में 2–2 प्रतिशत और मलेशिया में 1 प्रतिशत बौद्ध आबादी है। ऐसे में चीनी पर्यटकों के बौद्ध सर्किट में न आने से पर्यटन उद्योग प्रभावित हो रहा है।

बौद्ध धर्म की जन्मस्थली भारत
पंकज कुमार सिंह महाप्रबंधक(आपरेशन) रॉयल रेजीडेंसी ग्रुप का कहना है कि देश में विदेशी पर्यटक आगमन (एफटीए) की संख्या में गत वर्ष की तुलना में इस बर्ष दो गुना से अधिक वृद्धि है। परंतु बौद्ध धर्म की जन्मस्थली भारत में आने वाले विदेशी बौद्ध तीर्थयात्रियों की संख्या बहुत कम है। पर्यटन विकास के लिए यह स्थिति चिंताजनक है।

मार्च 2018 में आया था आखिरी चीनी पर्यटक दल
25 मार्च 2018 को कुशीनगर में चीन का आखिरी पर्यटक दल आया था। उस समय भारत–चीन सीमा विवाद चरम पर था। सपरिवार आए इंग्लैंड में ट्रांसपोर्ट अभियंता चीनी सैलानी सैलानी शुचेंग हूं,झियूगिने हूं, चेनचेन हूं और ¨बग¨बग हूं ने महापरिनिर्वाण मंदिर में पूजा की थी। तबसे चीन का कोई पर्यटक दल नही आया।

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