काशी विश्वनाथ की तर्ज पर बनेगा बांके बिहारी कॉरिडोर, इलाहाबाद हाईकोर्ट से मिली हरी झंडी

राज्य सरकार ने बांके बिहारी मंदिर कॉरिडोर का रूपरेखा पहले ही तैयार कर लिया है और इस कॉरिडोर में क्या होगा, कैसे होगा, इसकी पूरी रूपरेखा तैयार है।

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File Photo

इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) ने सोमवार (20 नवंबर) को श्री ठाकुर बांके बिहारी कॉरिडोर (Shri Thakur Banke Bihari Corridor) के निर्माण (Construction) का रास्ता साफ कर देश-विदेश (India and Abroad) से आने वाले श्रद्धालुओं (Devotees) को बड़ी राहत दी है। बांके बिहारी कॉरिडोर के निर्माण के बाद एक साथ 10 हजार लोग आराध्य के दर्शन कर सकेंगे। यह कॉरिडोर 5.65 एकड़ क्षेत्र में प्रस्तावित है।

बांके बिहारी कॉरिडोर का डिजाइन काशी कॉरिडोर (Kashi Corridor) की तर्ज पर तैयार किया गया है। व्यवस्थाएं भी इसी तर्ज पर संचालित होने की बात कही जा रही है। यह कॉरिडोर बिहारी मंदिर के सामने 5.65 एकड़ क्षेत्र में प्रस्तावित है, जो भूमि की भौगोलिक स्थिति के कारण दो भागों में होगा। यह विद्यापीठ और परिक्रमा मार्ग से जुड़ा हुआ है।

प्रस्तावित कॉरिडोर में बिहारी जी के भक्तों की हर सुविधा का ख्याल रखा गया है। इसमें 10 हजार लोग एक साथ मौजूद रहेंगे। इस पर करीब 505 करोड़ रुपये खर्च का अनुमान लगाया गया है, जिसके लिए 276 से ज्यादा दुकानें और मकानों का अधिग्रहण किया जाएगा। इसमें 149 आवासीय, 66 व्यावसायिक, 57 मिश्रित इमारतें हैं।

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काशी कॉरिडोर की तर्ज पर होगा निर्माण
काशी कॉरिडोर की तर्ज पर प्रस्तावित बांके बिहारी कॉरिडोर की सीढ़ियां चढ़ते-चढ़ते इसकी खूबसूरती बढ़ती जाएगी। गलियारे में कदंब और करील के पौधे अपनी आभा बिखेरेंगे। कॉरिडोर के साथ-साथ श्री बांके बिहारी मंदिर के परिक्रमा मार्ग को भी नया स्वरूप दिया जाना है। इसके लिए भी आपसी सहमति से बिहारी जी के आसपास की जमीन लेनी होगी।

कोर्ट में कॉरिडोर का प्रेजेंटेशन पेशा
18 सितंबर को इलाहाबाद हाईकोर्ट में बांके बिहारी कॉरिडोर को लेकर सुनवाई हुई थी। इस सुनवाई में जिला प्रशासन ने कोर्ट के सामने कॉरिडोर का प्रेजेंटेशन दिया था। बताया गया कि वर्तमान में बांके बिहारी मंदिर परिसर मदन मोहन मंदिर ट्रस्ट के नाम पर है। प्रस्तावित कॉरिडोर में गेट नंबर 1 से यमुना क्षेत्र की ओर 5.65 एकड़ जमीन आपसी सहमति से ली जाएगी और उस पर कॉरिडोर बनाया जाएगा। इससे पहले उत्तर प्रदेश ब्रज तीर्थ विकास परिषद ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के समक्ष अपना प्रेजेंटेशन दिया था।

ऊपरी क्षेत्र में क्या होगा?
वेटिंग रूम की जगह- 1800 वर्ग मीटर
गलियाला- 800 वर्ग मीटर
परिक्रमा क्षेत्र- 900 वर्ग मीटर
खुला क्षेत्र- 650 वर्ग मीटर
फर्निशिंग हाउस- 100 वर्ग मीटर
क्रेच – 30 वर्ग मीटर
मेडिकल- 80 वर्ग मीटर
वीआईपी कक्ष- 250 वर्ग मीटर

निचले क्षेत्र में क्या होगा?
खुला क्षेत्र- 518 वर्ग मीटर
प्रतीक्षालय- 3500 वर्ग मीटर
जूते की दुकान – 250 वर्ग मीटर
फर्निशिंग हाउस- 100 वर्ग। मीटर
क्रेच – 30 वर्ग मीटर
चिकित्सा सेवाएँ- 90 वर्ग मीटर
वीआईपी कक्ष- 80 वर्ग मीटर
सामग्री भण्डार- 800 वर्ग मीटर

कॉरिडोर के निर्माण के दौरान श्रद्धालुओं को होने वाली दिक्कतों के मुद्दे पर कोर्ट ने कहा, ”हम यह स्पष्ट करते हैं कि इस योजना के कार्यान्वयन के अलावा किसी भी तरह से दर्शन बाधित नहीं किया जाएगा और इस दौरान उपयुक्त वैकल्पिक व्यवस्था की जाएगी।” जिला प्रशासन को भी उक्त निर्देशों का कड़ाई से अनुपालन सुनिश्चित करने का निर्देश दिया गया है और किसी भी उल्लंघन की सूचना इस न्यायालय को दी जानी चाहिए। जनहित याचिका में कहा गया है कि दर्शन के लिए भक्तों की भारी भीड़ कानून-व्यवस्था की समस्या पैदा करती है और चोरी, लूटपाट और संपत्ति को नुकसान पहुंचाने के लिए कई प्राथमिकी दर्ज की गई हैं। इस याचिका में भारी भीड़ के कारण श्रद्धालुओं की मौत के मामलों का भी जिक्र किया गया है।

याचिकाकर्ता के अनुसार, भीड़ को प्रबंधित करना और मंदिर की ओर जाने वाली सड़क पर एक उचित गलियारा बनाना स्थानीय प्रशासन की जिम्मेदारी है ताकि भक्त आसानी से श्री ठाकुर बांके बिहारी महाराज के दर्शन और पूजा कर सकें। लेकिन प्रशासन इस काम में पूरी तरह विफल रहा। कई दुर्घटनाओं के बावजूद जिला प्रशासन या राज्य सरकार ने इस दिशा में कोई कदम नहीं उठाया है।

देखें यह वीडियो- 

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