मिराज 2000! एक नाम, कई काम… अमेरिका के एफ16 को दी थी टक्कर

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भारतीय वायुसेना की रक्षा प्रणाली का अभिन्न अंग रहा है मिराज 2000 लड़ाकू विमान। इसे वर्ष 1985 में वायुसेना में शामिल किया गया। इस विमान का उल्लेखनीय योगदान कारगिल युद्ध में रहा है। इसके अलावा पीओके में आतंकी कैंप ध्वस्त करने में इस लड़ाकू विमान का उपयोग किया गया था।

ऐसे हुआ सेना में शामिल 

  • 1985 में भारतीय वायुसेना में हुआ शामिल
  • पहली बार 36 सिंगल सीटर और 4 ट्विन सीटर का ऑर्डर दिया गया
  • इसकी निर्माता कंपनी है डेसाल्ट एवियेशन
  • डेसाल्ट एवियेशन फ्रांसिसी कंपनी है
  • 1999 के कारगिल युद्ध को भारत के पक्ष में मोड़ दिया
  • वर्ष 2004 में सरकार ने 10 मिराज 2000 एयरक्राफ्ट का ऑर्डर दिया
  • मिराज 2000 की संख्या 50 तक पहुंच गई
  • 2011 में मिराज 2000 के आधुनिकीकरण का हुआ अनुबंध। जिसमें मिराज 2000- 5 एमके के जरिये बढ़ी कार्यक्षमता

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मिराज की विशेषता

  • मिराज 2000 में है सिंगल साफ्ट एंजन एसएनईसीएमए एम53 (स्नेकमा)
  • इसका भार 7,500 किलोग्राम है, टेक ऑफ वजन 17 हजार किलोग्राम
  • इसकी अंतिम गति 2.2 मैक (2,336 किलोमीटर प्रति घंटा)
  • यह 1,550 किलोमीटर ड्रॉप टैंक में उड़ान भर सकता है
  • यह 59 हजार फीट तक भर सकता है उड़ान
  • लेजर गाइडेड बम ले जाने में सक्षम
  • हवा से हवा और हवा से जमीन पर मार करनेवाली मिसाइल ले जाने में सक्षम
  • भारत के अलावा इसका उपयोग फ्रांस, इजिप्ट, संयुक्त अरब अमीरात, पेरू, ताइवान, ग्रीस और ब्राजील में
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