जानें अमेरिकी प्रिडेटर ड्रोन की विशेषता, जिसे भारत खरीदने की तैयारी में है

वर्तमान की युद्ध प्रणाली आर्टिफीशियल इंटेलिजेंस के आधार पर लड़ी जाने लगी है। अब सर्विलांस के लिए भी अत्याधुनिक मानव रहित प्रणालियों के विकास पर सभी देश जुटे हुए हैं। इन रक्षा सामग्रियों का उद्देश्य है कम से कम मानव क्षति में दुश्मन को बड़ा से बड़ा नुकसान पहुंचाना। ऐसे में ड्रोन का विकास और महत्व दोनों महत्वपूर्ण है।

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सटीक, मारक और विश्वसनीय अमेरिकी प्रिडेटर ड्रोन भारत को पसंद आ गया है। दो ड्रोन वर्तमान में भारतीय सेना के पास पट्टे पर अमिरेका ने दिये हैं। भारत की तीनों सेनाओं में नियुक्ति के लिए तीस प्रिडेटर ड्रोन की आवश्यकता है।

भारत के दो प्रतिद्वंदी देश चीन और पाकिस्तान के पास चीन निर्मित हथियार से लैस विंग लूंग-।। ड्रोन हैं। इसका मुकाबला करने के लिए भारत को सटीक, मारक और शिश्वसनीय ड्रोन की आवश्यकता है, जो एमक्यू-9 की समयपूर्व प्राप्ति से पूरी हो सकती है। इस संबंध में थल सेना और वायु सेना ने नौसेना को नियुक्त किया है कि वो एमक्यू-9 ड्रोन प्राप्ति के लिए प्रक्रियाएं पूर्ण करे। नौसेना ने रक्षा मंत्रालय से डिफेन्स प्रोक्यूरमेन्ट बोर्ड की तत्काल बैठक बुलाने का आग्रह किया है।

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इस बीच इजरायल से भी हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड अनुबंध कर रहा है, जिसके अंतर्गत ड्रोन का निर्माण और बिक्री करना संभव होगा। लेकिन सेना का मत है कि इजरायली ड्रोन हंटर के रोल में है जबकि, अमेरिकी प्रिडेटर ड्रोन टार्गेट को ढूंढने और ध्वस्त करने में सक्षम हैं। इनका कार्य अफगानिस्तान और इराक में देखा गया है।

थल सेना को हेरोन ड्रोन
चीन से उत्पन्न खतरे को देखते हुए भारतीय थल सेना इजरायल से छह हेरोन ड्रोन लीज पर लेने की योजना में है। यह उंचाई पर उन्नत डेटा और राडार प्रणाली से लैस हैं। इसका एक प्रस्ताव रक्षा मंत्रालय के पास विचाराधीन है।

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