कृषि कानूनों पर सौंपी गई समिति की रिपोर्ट में क्या है?… जानने के लिए पढ़ें ये खबर

तीन सदस्यीय समिति ने कृषि कानूनों को लेकर तैयार की गई रिपोर्ट सर्वोच्च न्यायालय को सौंप दी है।

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सर्वोच्च न्यायालय द्वारा नियुक्त तीन सदस्यीय समिति ने कृषि कानूनों को लेकर अपनी रिपोर्ट न्यायालय को सौंप दी है। ये रिपोर्ट एक सीलबंद लिफाफे में सौंपी गई है। समिति ने दावा किया है कि रिपोर्ट लगभग 85 किसान संगठनों से परामर्श कर तैयार की गई है। शेतकरी संगठन की महिला अध्यक्ष सीमा नरवणे ने दावा किया कि समिति ने 29 मार्च को सर्वोच्च न्यायालय के सामने सीलबंद लिफाफे में रिपोर्ट सौंपी है।

अभी तक रिपोर्ट को लेकर कोई आधिकारिक खुलासा नहीं किया गया है। लेकिन अटकलों का बाजार गरम हो गया है। जानकारों का मानना है कि रिपोर्ट में कृषि बिलों को किसानों के हित में बताया जा सकता है। मिली जानकारी के अनुसार जल्द ही प्रेस रिलीज कर इस बारे में जानकारी दी जा सकती है। इस समिति में अनिल धनवत, अशोक गुलाटी और प्रमोद जोशी शामिल हैं।

जनवरी में गठित की गई समिति
बता दें कि किसान संगठनों और सरकार के बीच गतिरोध समाप्त करने के लिए जनवरी में सर्वोच्च न्यायालय ने कृषि कानूनों पर रोक लगाने के साथ ही तीन सदस्यीय समिति गठित की थी। दावा किया जा रहा है कि यह रिपोर्ट समिति ने किसान संगठनों और कृषि मामलो के विशेषज्ञों से बात कर तैयार की है। इस रिपोर्ट में केंद्र सरकार की ओर से पारित किए गए कृषि कानूनों की समीक्षा की गई है।

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समिति को सर्वोच्च निर्देश
बता दें कि न्यायालय ने कमेटी को दो महीने में अपनी रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया था। न्यायालय ने कमेटी को यह भी बताने को कहा था कि कौन-सा कानून किसानों के हित में है और कौन-सा नहीं। बाद में कमेटी ने अखबारों में एक विज्ञापन के माध्यम से तीनों कृषि कानूनो के बारे में उनकी राय, टिप्पणी और सुझाव मांगे थे।

चार महीनों से जारी है विरोध
बता दें कि पिछले चार महीनों से ज्यादा समय से कुछ किसान संगठन कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग करने को लेकर दिल्ली की सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे हैं। भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने किसान आंदोलन को लंबा चलने की बात करते हुए कहा है कि यह किसानों की आजादी की लड़ाई है। उन्होंने कृषि कानूनों को रद्द करने के साथ ही एमएसपी को लेकर भी कानून बनाने की मांग की। उन्होंने कहा कि वर्तमान कृषि कानूनों से किसान और उपभोक्ता दोनों बर्बाद हो जाएंगे।

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