हिमाचलः कांस्टेबलों की आत्महत्या परेड की धमकी से हड़कंप! जानें, क्या है पूरा मामला

बीते नवंबर माह में मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के सरकारी आवास का घेराव कर सैकड़ों कांस्टेबल नाराजगी जताने पहुंचे और संशोधित पे बैंड देने की मियाद को आठ से घटाकर दो साल करने की मांग की थी।

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हिमाचल प्रदेश में पुलिस कांस्टेबल के वेतनमान से जुड़ा मामला गरमाता जा रहा है। संशोधित पे बैंड की मांग कर रहे कांस्टेबलों द्वारा गणतंत्र दिवस के उपलक्ष्य पर 26 जनवरी को शिमला के ऐतिहासिक रिज मैदान पर आत्मदाह परेड की धमकी देने के बाद राज्य सरकार में हड़कंप मच गया है।

राज्य सरकार ने डीजीपी से पूरे मामले की रिपोर्ट मांगी है। सरकार के निर्देश पर डीजीपी ने स्टेट सीआईडी से इस पूरे घटनाक्रम की जानकारी मांगी है। डीजीपी संजय कुंडू की तरफ से एडीजी सीआईडी को लिखे एक पत्र में कहा गया है कि वे इस पूरे मामले पर तथ्यों समेत रिपोर्ट प्रेषित करें। बताया गया है कि रिपोर्ट के बाद राज्य का गृह विभाग आगे की कार्रवाई के बारे में फैसला करेगा।

धमकी देने वाले कांस्टेबलों की तलाश
सीआईडी के अधिकारी उन कांस्टेबलों की तलाश कर रहे हैं, जिन्होंने आत्महत्या परेड की धमकी दी है। दरअसल सोशल मीडिया पर मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के नाम लिखे पत्र में चेतावनी दी गई है कि यदि 25 जनवरी तक 2015 से भर्ती हुए जवानों को न्याय नहीं मिला तो वे 26 जनवरी के दिन रिज मैदान पर गणतंत्र परेड के साथ पुलिस के जवान वर्दी में आत्मदाह परेड भी निकालेंगे। कांस्टेबलों की ओर से जारी इस चेतावनी से पुलिस महकमे में भी अफरा-तफरी है।

तीन महीने से गरमाया है मुद्दा
गौर हो कि यह मुद्दा बीते तीन महीनों से तूल पकड़ रहा है। पुलिस जवान आठ साल के बजाय दो साल बाद संशोधित वेतनमान देने की मांग कर रहे हैं। वर्ष 2013 में सरकार ने नियम बदले, इसके बाद पद तो नियमित रहा लेकिन वेतन अनुबंध के बराबर ही मिलता है। वर्ष 2016 में पूर्व कांग्रेस सरकार ने 2013 में भर्ती हुए पुलिस कर्मी को पूरा लाभ दिया लेकिन 2015 और 16 के बैच के जवानों को इससे वंचित रखा गया। इसके बाद भर्ती हुए जवानों पर भी यही आठ साल की शर्त लगा दी गई है।

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मुख्यमंत्री का किया था घेराव
बीते नवंबर माह में मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के सरकारी आवास का घेराव कर सैकड़ों कांस्टेबल नाराजगी जताने पहुंचे और संशोधित पे बैंड देने की मियाद को आठ से घटाकर दो साल करने की मांग की थी। इस मांग पर मंथन के लिए मुख्यमंत्री ने अतिरिक्त मुख्य सचिव वित्त की अध्यक्षता में एक कमेटी का गठन तो कर दिया, मगर इस कमेटी ने मुख्यमंत्री के एलान के बाद भी एक कदम भी आगे नहीं उठाया। इससे नाराज प्रभावित कांस्टेबलों ने सलाहकार समिति की बैठक में मांग पूरी न होने पर मैस में भोजन करना त्याग दिया था। मामला तूल पकड़ने पर पुलिस मुख्यालय ने आईजी एपी सिंह की अध्यक्षता में एक और कमेटी गठित कर दी, लेकिन अभी भी मामला ठंडे बस्ते में नजर आ रहा है। कांस्टेबलों को लग रहा है कि सरकार उनकी मांग का हल निकालने में कोई रुचि नहीं दिखा रही है।

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