मोदी आउट, प्रसाद इन

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भारतीय जनता पार्टी के सीनियर लीडर तारकिशोर प्रसाद को बिहार विधानमंडल दल का नेता चुना गया है। खुद रक्षा मंत्री और वरिष्ठ पार्टी नेता राजनाथ सिंह ने उनके नाम का ऐलान किया। उन्हें सुशील कुमार मोदी की जगह विधानमंडल का नेता चुना गया है। सुशील कुमार ने ट्विट कर उन्हें बधाई दी है। उन्होंने कहा, ‘तारकिशोर जी को बीजेपी के विधानमंडल का नेता सर्वसम्मति से चुने जाने पर बधाई!

इसके आलावा उन्होंने ट्विट कर कहा है,’भाजपा एवं संघ परिवार ने मुझे 40 वर्षों के राजनैतिक जीवन में इतना दिया कि शायद किसी दूसरे को नहीं मिला होगा। आगे जो जिम्मेदारी मिलेगी, उसका निर्वहन करूंगा। कार्यकर्ता का पद तो कोई नही छीन सकता।’

उनका यह ट्विट उनके उपमुख्यमंत्री बनने को लेकर संशय की खबर आने के बाद आया है। शायद उन्हें यह पता चल गया है कि इस बार उनकी जगह पक्की नहीं है। उनके इस ट्वविट को उनकी प्रतिक्रिया के रुप में देखा जा रहा है।  अब तक के एनडीए के इतिहास में विधानमंडल का नेता ही सरकार में उपमुख्यमंत्री रहा है। समझा जा रहा है कि उन्हें केंद्र की राजनीति में सक्रिय किया जाएगा।

नीतीश से यारी पड़ी भारी
यह भी माना जा रहा है कि उन्हें नीतीश से यारी का खमियाजा भुगतना पड़ रहा है। नीतीश के कमजोर होते ही सुमो को उनकी जगह दिखा दी गई है। गौर करनेवाली बात यह भी है कि 2012 में सुमो ने नीतीश कुमार में पीएम मटेरियल बताकर मोदी कैंप से पंगा ले लिया था।

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बीजेपी में इस बड़े बदलाव के पीछे पार्टी की बड़ी रणनीति
नीतीश कुमार और सुशील कुमार मोदी की जोड़ी पिछले करीब 12 वर्षों से बिहार में सत्ता संभालती रही है। इसका कारण दोनों के बीच अच्छी समझ और तालमेल होना बताया जाता है । उनके तिलिस्म को तोड़ने के लिए बीजेपी ने चुनाव के पहले से ही सुशील कुमार मोदी को हाशिये पर डालना शुरू कर दिया था। इसलिए चुनाव प्रचार के दौरान उनकी सक्रियता बहुत ही कम रही। जबकि केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद, नित्यानंद राय, प्रेम कुमार आदि नेताओं की सक्रियता काफी बढ़ा दी गई थी। अब जब सत्ता में भागीदारी का वक्त आया है तो बीजेपी इस मौके का फायदा उठाने के लिए नये प्रोयग करना चाहती है।

इसके पीछे दो कारण महत्वपूर्ण हैंः

  • नीतीश-सुशील की तिलिस्म को तोड़ना
  • नीतीश कुमार को कमजोर कर मुख्यमंत्री की कुर्सी पर कब्जा जमाना

बिहार में अभी तो खेल शुरू हुआ है। सूत्रों के अनुसार एक साल में बड़ा परिवर्तन हो सकता है, जिसकी पटकथा नीतीश और सुशील मोदी की जोड़ी को तोड़कर लिखी जा रही है।

बीजेपी पहले भी करती रही है प्रयोग
हरियाणा में मनोहर लाल खट्टर, महाराष्ट्र में देवेंद्र फडणवीस जैसे चेहरे हैं,जो पारंपरिक चेहरों से हटके थे। भारतीय जनता पार्टी ने इन पर प्रयोग किया और यह प्रयोग काफी हद तक सफल रहा।

बिहार के चुनाव में छोटे भाई से बड़े भाई( 74) बनकर उभरी बेजेपी ने तारकिशोर प्रसाद को क्यों इस महत्वपूर्ण पद के लिए चुना? उनकी पृष्ठभूमि क्या है? आइए जानते हैंः

  • तारकिशोर प्रसाद बिहार में बीजेपी के वरिष्ठ नेता हैं
  • कटिहार जिले के तारकिशोर प्रसाद की पार्टी पर अच्छी पकड़ है
  • 64 वर्षीय प्रसाद ने कटिहार सीट से आरजेडी के डा. राम प्रकाश महतो को 12 हजार से ज्यादा वोटों से हराया है
  • पिछले चार बार से वे लगातार जीत हासिल करते रहे हैं
  • 2015 में लालू और नीतीश की मजबूत जोड़ी के बावजूद तारकिशोर प्रसाद से जीत हासिल की थी
  • तारकिशोर प्रसाद का शुमार करोड़पति विधायकों में की जाती है
  • चुनाव आयोग को दिए हलफनामे में उन्होंने अपनी कुल संपत्ति 1.9 करोड़ बताई है
  • उन्होंने 12वीं तक शिक्षा ग्रहण की है और उनके खिलाफ एक क्रिमिनल केस है
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