भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत पर उन्हीं की यूनियन के साथियों ने गंभीर आरोप लगाए हैं। इन आरोपों में राकेश टिकैत के साथ ही नरेश टिकैत को भी घेरा गया है। दोनों ही नेताओं पर अपना राजनीतिक एजेंडा चमकाने के लिए काम करने का आरोप है। इसके कारण बीकेयू दो धड़ों में बंट गई है।
तीन कृषि कानूनों के विरोध में दिल्ली की सीमाओं पर किसान यूनियन के आंदोलन के समय से ही बीकेयू के सहयोगी राकेश टिकैत से नाराज थे। यह गुट सदा ही शांतिपूर्वक किसानों के हितों की बात रखने का पक्षधर रहा है लेकिन आरोप है कि, राकेश टिकैत ने अपने किसी भी सहयोगी की बात नहीं मानी।
बंट गई बीकेयू
भारतीय किसान यूनियन से अलग होकर बनाई गई यूनियन के अध्यक्ष राजेश चौहान कहते हैं कि ,”बीकेयू अपने मूल मुद्दों से न सिर्फ भटक गई थी बल्कि, राकेश टिकैत और नरेश टिकैत दोनों भाई राजनीतिक व्यक्ति की तरह आंदोलनों में हिस्सा लेने लगे थे। राजेश चौहान ने कहा कि उनकी नई यूनियन महेन्द्र सिंह टिकैत के दिखाए रास्ते पर चलेगी। नए किसान संगठन में सेन्ट्रल यूपी और पूर्वाचंल के ज्यादा किसान नेता हैं। उसमें धर्मेन्द्र सिंह मलिक, राजेन्द्र मलिक, मांगेराम त्यागी, अनिल तालान और बिंदू कुमार जैसे नेता शामिल हैं। उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों के समय से ही कलह अधिक बढ़ गई थी।
टिकैत नहीं टिका पाए बीकेयू
किसान यूनियन का आंदोलन समाप्त होने के बाद राकेश टिकैत पर लगातार दबाव पड़ रहा था कि किसान यूनियन को गैर-राजनीतिक रहना चाहिए और संगठन को किसानों के हितों तक ही सीमित रहना चाहिए । इसी को मुद्दा बनाते हुए राजू अहलावत ने भाजपा का दामन थाम लिया था। राजू अहलावत के भाजपा में जाने के बाद किसान यूनियन का कुनबा बिखरने लगा था।
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फूट में भी सरकार पर आरोप
किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत का कहना है कि, अंगुली कटती है तो दूख होता है। छोटे-छोटे गांवों से निकलकर लोग किसान यूनियन के नेता बने हैं। अब सरकार के दबाव में किसान यूनियन में दो-फाड़ हो गया है। राकेश टिकैत का कहना है कि, 18 मई को किसान यूनियन की कार्यकारिणी की बैठक करनाल में होगी उसके बाद ही अगला फैसला होगा।
तीन कृषि कानून दोबारा लागू होंगे?
राकेश टिकैत के इस बयान के बाद कि जो नेता कृषि कानूनों का विरोध कर रहे थे आज तीन कृषि कानूनों की वकालत कर रहे हैं। कयास लग रहे हैं कि, तीन कृषि कानूनों को लेकर नई बहस शुरू होगी। राकेश टिकैत सरकार के साथ बातचीत करने में दिलचस्पी नहीं ले रहे थे। अब नए किसान संगठन के बनने के बाद केन्द्र सरकार से फिर वार्ता शुरू होगी।