कांग्रेस के लिए ‘पनौती’ साबित हुए हैं राहुल गांधी! जब भी दिया ऐसा नारा, पार्टी की डूबी नैया

राहुल गांधी ने 2004 में देश की राजनीति में कदम रखा और 34 साल की उम्र में अपनी पैतृक सीट अमेठी से चुनाव जीतकर पहली बार सांसद बने।

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पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव (Assembly Elections) प्रचार में शब्दों की मर्यादा तार-तार हो रही है। कांग्रेस सांसद राहुल गांधी (Congress MP Rahul Gandhi) शब्दों की शालीनता को पूरी तरह से भूल गए है। राजस्थान में कांग्रेस के प्रत्याशी के समर्थन में वोट मांगते हुए तो उन्होंने हद ही कर दी जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) को “पनौती” तक कह डाला। ‘पनौती’ का शाब्दिक अर्थ होता है अशुभ यानी जिसके कारण बनता हुआ काम बिगड़ जाए। देश की राजनीति के नक्शे से कांग्रेस (Congress) जिस तरीके से सिमट रही है। राहुल गांधी के बयानों से कांग्रेस देश में लोकसभा और राज्यों के विधानसभा चुनाव हार रही है। चुनाव के नतीजों के आंकड़े बता रहे है कि कांग्रेस के लिए राहुल गांधी ‘पनौती’ साबित हो रहे है पर कांग्रेस है कि मानती नहीं, राहुल गांधी को बार-बार असफल होने के बाद फिर से उनको पुनर्स्थापित करने में जुट जाती है।

राहुल गांधी कैसे बने कांग्रेस के लिए पनौती
राहुल गांधी ने 2004 में देश की सियासत में कदम रखा और अपनी पुश्तैनी सीट अमेठी से चुनाव जीतकर 34 वर्ष की उम्र में पहली बार सांसद बने। वर्ष 2004 और वर्ष 2014 में सांसद बने लेकिन 2019 के लोकसभा चुनाव में केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने राहुल गांधी को अमेठी सीट से हरा दिया लेकिन केरल की वायनाड सीट से सांसद चुने गए। राहुल गांधी सांसद तो बने लेकिन कांग्रेस की लुटिया डुबोने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी। कांग्रेस पार्टी को साल 2014 के लोकसभा चुनाव में महज 44 सीटें मिली थी। साल 2019 लोकसभा चुनाव में कांग्रेस 50 सीट जीत सकी।

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राहुल गांधी ने फरवरी 2012 में राजस्थान के दौसा में एक चुनावी रैली में एक कागज के टुकड़े को फाड़ दिया था ताकि ये संदेश जा सके कि समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी द्वारा किए गए वादे बेकार है। एक बार अपनी ही सरकार के अध्यादेश की कॉपी फाड़ दी थी राहुल गांधी अप्रैल 2015 से 2017 तक कांग्रेस पार्टी के उपाध्यक्ष रहे लेकिन पार्टी हारती रही।

कांग्रेस की हार, राहुल गांधी
कांग्रेस को 2014 के लोकसभा चुनाव में हार मिली और दिल्ली के विधानसभा चुनावों में मिली शिकस्त के बाद राहुल गांधी छुट्टियां मनाने अज्ञात स्थान पर चले गए थे। मोदी सरकार के एक साल पूरा होने पर कहा था। जन्मदिन मुबारक हो, सूट बूट की सरकार। इसी दौरान असम, केरल और उत्तराखंड में कांग्रेस हार गई। बिहार में गठबंधन होने के कारण जीत मिली। लेकिन पंजाब में कांग्रेस हार गई। गोवा और मणिपुर में सबसे बड़ी पार्टी होने के बावजूद कांग्रेस सरकार नहीं बना सकी। राहुल गांधी के “चौकीदार चोर है” के नारे ने 2019 लोकसभा चुनावों में कांग्रेस को हरा दिया। 2013 से लेकर अब तक यानी 10 सालों में राहुल गांधी की कांग्रेस दो लोकसभा चुनाव और 40 से अधिक विधानसभा चुनावों में कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा। गुजरात में कांग्रेस 27 सालों से बाहर है वर्ष 2022 के विधानसभा चुनावों में कुल राज्य की 182 सीटों में से 17 सीटें मिली। यूपी, पंजाब और गोवा समेत पांच राज्यों के 2022 में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस हारी।

कांग्रेस में जान फूंकने के सभी प्रयास हो रहे असफल
लगातार चुनाव हार रही कांग्रेस में जान फूंकने के प्रयास हुए लेकिन नतीजा सिफर रहा। लोकसभा 2019 के चुनावों में हार के बाद कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ए.के. एंटनी की अध्यक्षता में एक कमेटी बनी और उसने अपनी रिपोर्ट में कहा कि कांग्रेस पार्टी में फैसले देरी से लिए जाते है। संगठन स्तर पर गुटबाजी है। कांग्रेस पार्टी में पॉपुलर चेहरे की कमी है। कांग्रेस ने यूपी समेत 5 राज्यों में हारने के बाद मई 2022 में राजस्थान के उदयपुर में 3 दिनों का चिंतन शिविर आयोजित किया था। इस शिविर में एक पद, एक व्यक्ति का फॉर्मूला पास किया था। लेकिन कांग्रेस अध्यक्ष मलिकाअर्जुन खड़गे खुद इसका पालन नहीं कर रहे है वे अध्यक्ष के साथ -साथ राज्यसभा में प्रतिपक्ष के नेता का पद संभाल रहे है।

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