जानें क्या है राहुल गांधी की ‘समुद्री सैर’ ‘कसरत’ और ‘नाच’ का राज?

उत्तर में कांग्रेस को निराशा ही निराशा मिल रही है। जबकि दक्षिण भारत में वायनाड ने राहुल गांधी को आशा की किरण दिखाई है। इसके अलावा केरल में एंटी इंकमबेंसी फैक्टर यदि काम कर गया तो राज्य में सरकार गठन का सपना कांग्रेस देख रही है।

108

दक्षिण में चुनावी बिगुल बजते ही राहुल गांधी के समुद्र में गोते, पुशअप्स, कसरत और नाच शुरू हो गए हैं। केरल के वायनाड से सांसद राहुल गांधी अब उत्तर में गोते खा चुकी कांग्रेस को दक्षिण में गोते लगाकर उबारने की कोशिश में हैं। इसके लिए उन्होंने पकड़ा है ईसाई धर्मगुरु, छात्र और मछली को जो कांग्रेस की नैय्या को पार लगाने की क्षमता रखती है। दक्षिण में केरल, तमिलनाडु और पुद्दुचेरी में चुनाव होने हैं जिसका प्रचार रंग ले चुका है।

पश्चिम बंगाल और असम में आस खोने की स्थिति में पड़ी कांग्रेस दक्षिण में पैर जमाने के लिए प्रयत्नशील है। इसमें कांग्रेस के युवराज राहुल गांधी तीन बातों को लेकर मैदान की खाक छान रहे हैं।

ये भी पढ़ें – गुजरात निकाय चुनावः खिला कमल, डाउन हुआ हाथ, ‘आप’ ने खोला खाता!.. जानिए पूरी खबर

  • 1. मछुआरे : राहुल गांधी 24 तारीख को केरल के कोल्लम में समुद्र में गोते लगाते दिखे थे। वे मछुआरों के संग मछली पकड़ते की भंगिमा का प्रदर्शन करते नजर आए और बाहर निकलते ही घोषणा कर दी कि उनकी सरकार के आने पर वे मछुआरों के लिए मंत्रालय बनाएंगे।
    केरल में लगभग 23 प्रतिशत लोग मछली मारने के व्यवसाय से जुड़े हुए हैं। इसी प्रकार तमिलनाडु में 10.48 लाख मछुआरे हैं। इसे देखते राहुल गांधी का ये कहना कि देश में मछुआरों के लिए मंत्रालय होना चाहिए उनकी मंशा को दर्शाता है। वो भी उस स्थिति में जब देश में मत्स्यपालन विभाग मंत्रालय है। जिसका वार्षिक बजट 1220 करोड़ रुपए का है। इसकी लगभग 20 प्रतिशत राशि समुद्री मत्स्य उद्योग पर खर्च की जाती है।
  • 2.कॉन्वेन्ट में गपशप : राहुल गांधी, कांग्रेस की अल्पसंख्यक तुष्टीकरण की राजनीति का भरपूर उपयोग कर रहे हैं। उनका कॉन्वेन्ट स्कूल में ईसाई धर्म गुरुओं के मध्य बातचीत इसी पिक्चर को रंग रहा है। इसके माध्यम से वे केरल, तमिलनाडु और पुद्दुचेरी के ईसाई समुदाय को कांग्रेस की ओर खींचने की कोशिश में हैं।
  • 3. नाच-गाना, पुशअप्स और एकिडो : किशोर छात्रों के बीच राहुल का नाचगाना युवा वर्ग को कांग्रेस की ओर आकर्षित करने का संदेश है। जिसके लिए पुशअप्स मारना, नाचना, एकिडो सम्मिलित है। वे अपने आपको युवा नेतृत्व के रूप में दर्शा करके युवाओं की समस्याओं और उनके विचारों से नजदीकी जताना चाहते हैं। देश में युवा मतदाताओं की संख्या में यदि ये जादू चला तो कांग्रेस की उत्तर में डूबी नैय्या दक्षिण में पार लग सकती है।

दक्षिण से इतनी आस क्यों?
कांग्रेस के हाथ से उत्तर प्रदेश और बिहार चले गए हैं। इन दोनों राज्यों में लोकसभा की 120 सीटें हैं जो कुल संसदीय सीटों की 22 प्रतिशत है। इसके अलावा राजस्थान में उसे एक भी सीट पर विजय नहीं मिली है। मध्य प्रदेश में एक सीट और छत्तीसगढ़ में दो सीट प्राप्त कर पाई है।

ये भी पढ़ें – स्वातंत्र्यवीर सावरकर पर ट्वीट तक नहीं, संभाजी नगर तो भूल ही गए सीएम – देवेंद्र फडवणीस

वर्ष 2014 में कांग्रेस और गठबंधन की तेरह राज्यों में सरकार थी जो अब सिमटकर पांच राज्यों में पहुंच गई है। इसमें पंजाब, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में उसकी अकेले की सरकार है। कांग्रेस की वर्तमान स्थिति ये है कि वो पूर्वी और पश्चिमी भारत, पूर्वोत्तर से लगभग साफ हो चुकी है। महाराष्ट्र और झारखंड में गठबंधन में छोटा हिस्सा भर है।
इसके उलट 2019 के लोकसभा चुनाव में जहां पंजाब, बिहार और उत्तर प्रदेश में कांग्रेस के 10 सांसद चुनकर आए हैं वहीं दक्षिण के पांच राज्यों केरल, कर्नाटक, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना से 28 सांसद चुनकर आए हैं। जिसमें से केरल और तमिलनाडु में वो बड़ी शक्ति बनकर उभरी है। अपनी पारंपरिक सीट उत्तर प्रदेश के अमेठी से हारे राहुल गांधी को केरल के वायनाड ने संसद में पहुंचा दिया। इसके कारण राहुल गांधी का दक्षिण भारत का मोह स्वाभाविक भी माना जा रहा है।

Join Our WhatsApp Community
Get The Latest News!
Don’t miss our top stories and need-to-know news everyday in your inbox.