विश्वकर्मा समाज को पीएम मोदी ने दिया बड़ा उपहार, बनेगा 13000 करोड़ रुपये का फंड, जानें कौन होंगे लाभान्वित

यह योजना पूरे भारत में ग्रामीण (rural) और शहरी (urban) क्षेत्रों के कारीगरों और शिल्पकारों (craftsmen) को सहायता प्रदान करेगी। पीएम विश्वकर्मा के अंतर्गत अठारह पारंपरिक शिल्पों को शामिल किया जाएगा।

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नई दिल्ली के द्वारका स्थित इंडिया इंटरनेशनल कन्वेंशन एंड एक्सपो सेंटर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज विश्वकर्मा जयंती के अवसर पर प्रधानमंत्री विश्वकर्मा कौशल सम्मान योजना (Pradhan Mantri Vishwakarma Kaushal Samman Yojana) को लॉन्च किया। पीएम मोदी के जन्मदिन पर विश्वकर्मा समाज (Vishwakarma Samaj) के लिए यह एक बड़ा उपहार है। इस योजना का लाभ जरूरतमंद और गरीब वर्ग के लोगों को मिलेगा।

18 कारीगरों को मिला योजना का प्रमाण
छोटी नाव बनाने वाले, कारपेंटर, कृपाण बनाने वाले, लौहार, थर्मल और टूल किट बनाने वाले, ताला बनाने वाले, मूर्तिकार, सुनार, कुम्हार, मोची, मिस्त्री, मालाकार, टोकरी बनाने वाले, खिलौने बनाने वाले, नाई, धोबी, दर्जी और मछली पकड़ने का जाल बनाने वाले कुल 18 कारीगरों को विश्वकर्मा कौशल सम्मान योजना का प्रमाण पत्र दिया गया।

13,000 करोड़ रुपये का बनेगा फंड
पीएम मोदी (PM Modi) ने कहा कि विश्वकर्मा सम्मान योजना को 13,000 करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ केंद्र सरकार द्वारा पूरी तरह से वित्त पोषित किया जाएगा। इस योजना के तहत, बायोमेट्रिक आधारित पीएम विश्वकर्मा पोर्टल का उपयोग करके सामान्य सेवा केंद्रों के माध्यम से विश्वकर्माओं का निःशुल्क पंजीकरण किया जाएगा। उन्हें पीएम विश्वकर्मा प्रमाण पत्र और आईडी कार्ड, मूलभूत और उन्नत प्रशिक्षण से जुड़े कौशल उन्नयन, 15,000 रुपये का टूलकिट प्रोत्साहन, 5 प्रतिशत की रियायती ब्याज दर पर 1 लाख रुपये (पहली किश्त) और 2 लाख रुपये (दूसरी किश्त) तक संपार्श्विक-मुक्त ऋण सहायता, डिजिटल लेनदेन के लिए प्रोत्साहन और विपणन सहायता के माध्यम से मान्यता प्रदान की जाएगी।

योजना का उद्देश्य
इस योजना का उद्देश्य गुरु-शिष्य परंपरा या अपने हाथों और औजारों से काम करने वाले विश्वकर्माओं द्वारा पारंपरिक कौशल के परिवार-आधारित प्रथा को मजबूत और पोषित करना है। पीएम विश्वकर्मा का मुख्य फोकस कारीगरों और शिल्पकारों के उत्पादों और सेवाओं की पहुंच के साथ-साथ गुणवत्ता में सुधार करना और यह सुनिश्चित करना है कि वे घरेलू और वैश्विक मूल्य श्रृंखलाओं के साथ एकीकृत हों।

कौन होंगे लाभान्वित
यह योजना पूरे भारत में ग्रामीण (rural) और शहरी (urban) क्षेत्रों के कारीगरों और शिल्पकारों (craftsmen) को सहायता प्रदान करेगी। पीएम विश्वकर्मा के अंतर्गत अठारह पारंपरिक शिल्पों को शामिल किया जाएगा। इनमें (i) बढ़ई (ii) नाव निर्माता (iii) कवचधारी (iv) लोहार; (v) हथौड़ा और टूल किट निर्माता (vi) ताला बनाने वाला (vii) सुनार (viii) कुम्हार (ix) मूर्तिकार, पत्थर तोड़ने वाला (x) मोची (जूता/जूता कारीगर) (xi) मेसन (राजमिस्त्री) (xii) टोकरी/चटाई/झाड़ू निर्माता/कॉयर बुनकर (xiii) गुड़िया और खिलौना निर्माता (पारंपरिक) (xiv) नाई (xv) माला बनाने वाला (xvi) धोबी (xvii) दर्जी और (xviii) मछली पकड़ने का जाल बनाने वाले शामिल हैं।

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