नीतीश की नैतिकता !

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बिहार में एनडीए की सरकार बनना निश्चित है। लेकिन क्या नीतीश कुमार नैतिकता के आधार पर सातवीं बार सीएम बनने से इनकार करेंगे, इस तरह के सवाल राजनीति के जानकार उठा रहे हैं। नीतीश की पार्टी जनता दल यूनाइटेड को इस चुनाव में केवल 43 सीटें ही मिली हैं, जबकि भारतीय जनता पार्टी ने 74 सीटों पर जीत हासिल की है। जेडीयू की कम सीटें मिलने से नीतीश कुमार खुद भी काफी परेशान बताए जा रहे हैं और चर्चा है कि वो सीएम बनने से इनकार कर सकते हैं।

नीतीश के साथ भाजपा
भाजपा ने चुनाव पहले किए अपने वादों पर कायम रहने का ऐलान कर अपनी तरफ से नीतीश कुमार के सीएम बनने का रास्ता साफ कर दिया है। हालांकि कम सीटें आने की वजह से नीतीश के पसोपेश से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी वाकिफ हैं, इसलिए उन्होंने 11 नवंबर को दिल्ली के पार्टी मुख्यालय में साफ तौर पर कहा है कि बिहार में आगे भी एनडीए नीतीश कुमार के नेतृत्व में ही काम करेगा। चुनाव से पहले भी भारतीय जनता पार्टी के बड़े नेता और गृह मंत्री अमित शाह के साथ पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे पी नड्डा ने घोषणा की थी कि अगर बीजेपी को जेडीयू से अधिक सीटें आती हैं तो भी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ही बनेंगे। इसके साथ ही नीतीश कुमार एनडीए के मुख्यमंत्री का चेहरा भी थे।

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बीजेपी के वादाखिलाफी की थी चर्चा
ऐसा माना जा रहा था कि आरजेडी( 75) के बाद बीजेपी के सबसे बड़ी पार्टी ( 74) बनकर उभरने के बाद बीजेपी अपने वादे से मुकर सकती है और अपनी पार्टी के नेता तथा केंद्रीय राज्य मंत्री नित्यानंद राय को मुख्यमंत्री के दावेदार के रुप में पेश कर सकती है। लेकिन प्रधानमंत्री द्वारा सीएम के पद के लिए नीतीश के नाम पर मुहर लगाए जाने के बाद स्थिति बिलकुल स्पष्ट है।

नीतीश करेंगे इनकार!
अब परेशानी जेडीयू सप्रीमो नीतीश कुमार की है। बताया जाता है कि नीतीश कुमार अपनी पार्टी के खराब प्रदर्शन को लेकर काफी आहत हैं और वे सीएम पद के लिए शपथ लेने में संकोच कर रहे हैं। कहा जा रहा है कि फिलहाल वे आत्ममंथन के दौर से गुजर रहे हैं और हो सकता है कि वे सीएम बनने से इनकार कर दें।

2005 के बाद आई सबसे कम सीटें
243 सीटों वाली बिहार विधानसभा में एनडीए को कुल 125 सीटें हासिल हुई हैं, जबकि महागठबंधन को 110 सीटें मिली हैं। एनडीए की 125 सीटों में बीजेपी की 75, जेडीयू की 43 और वीआईपी तथा हम की 4-4 सीटें शामिल हैं। महागठबंधन की बात करें तो आरजेडी को सबसे अधिक 76 सीटें, कांग्रेस को 19 और वामपंथी दलों को 16 सीटें हासिल हुई हैं। जेडीयू को 2005 के बाद इस बार सबसे कम सीटें मिली हैं।

क्यों परेशान हैं नीतीश कुमार?
नीतीश के दुखी और परेशान होने का एक कारण यह भी माना जाता है कि बीजेपी ने लोजपा और चिराग पासवान को लेकर अपनी स्थिति स्पष्ट करने में काफी देरी कर दी। नीतीश कुमार को लगता है कि बीजेपी ने जान-बूझकर चिराग पासवान को लेकर असमंजस की स्थिति बनाए रखी, और उन्हें रोकने के लिए कोई असरदार कदम नहीं उठाया। इस वजह से जेडीयू को कम से कम 30 सीटों का नुकसान उठाना पड़ा।

बीजेपी के स्थानीय नेता नीतीश के साथ
हालांकि बिहार के स्थानीय बीजेपी नेता प्रदेश अध्यक्ष डॉ संजय जायसवाल, उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी और केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने 10 नवंबर को नीतीश कुमार से मुलाकात की थी। समझा जा रहा है कि यह एक तरह से नीतीश कुमार को मनोबल बढ़ाने के लिए शिष्टाचार भेंट थी।

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