किसान आंदोलन में प्रतिबंधित संस्थाओं के सदस्यों के हिस्सा लेने के मामले में केंद्रीय जांच एजेंसी ने पंजाब में कुछ लोगों को समन भेजा है। इस मामले में किसान आंदोलन के विरुद्ध सर्वोच्च न्यायालय में सुनवाई के दौरान भी यह मुद्दा उठा था जिसमें सरकार की ओर से स्पष्ट किया गया है कि आईबी की रिपोर्ट में इन प्रतिबंधित संस्थाओं की संलिप्तता की सूचना मिली है। इस मामले में अब राजनीति भी शुरू हो गई है। शिरोमणि अकाली दल ने केंद्रीय एजेंसी की इस कार्रवाई को न्यायालय में ले जाने की धमकी दी है।
पंजाब में खालिस्तान को नए सिरे से खड़ा करने की साजिश धीरे-धीरे सामने आ रही है। इस मामले में सुरक्षा एजेंसियों ने कई खालिस्तान समर्थकों को गिरफ्तार भी किया है। इसे कनाडा, अमेरिका और ब्रिटेन में रहनेवाले सिखों के एक धड़े का खुला समर्थन मिलता रहा है। केंद्रीय जांच एजेंसी ने इस मुद्दे पर पंजाब के कुछ लोगों को जांच के लिए समन किया है।
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जिस पर शिरोमणि अकाली दल ने आरोप लगाया है। आंदोलन कर रहे किसानों को ‘सिख फॉर जस्टिस’ (एसएफजे) के नाम पर परेशान किया जा रहा है जिससे आंदोलन को तितर-बितर किया जा सके। शिरोमणि अकाली दल ने धमकी दी है कि पार्टी का लीगल सेल इस मुद्दे को न्यायालय में लेकर जाएगा।
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किसानों के बीच पहुंचे आतंकियों का चार साक्ष्य…
- 1) ‘सिख फॉर जस्टिस’ (प्रतिबंधित संगठन) ने घोषित किया है कि किसान आंदोलन में खालिस्तान का झंडा लहराने वालों को ईनाम दिया जाएगा। इसको लेकर सुरक्षा एंजेसियां सतर्क हो गई हैं।
- 2) 12 जनवरी, 2021 को सर्वोच्च न्यायालय में केंद्र सरकार की ओर से कहा गया है कि किसान आंदोलन में खालिस्तानी समर्थकों ने प्रवेश किया है। आईबी ने इसकी गुप्त रिपोर्ट सरकार को सौंपी है।
- 3) इसकी पुष्टि करते हुए अटार्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने सर्वोच्च न्यायालय में प्रतिज्ञापत्र भी दायर किया है।
- 4) गणतंत्र दिवस पर किसानों की ट्रैक्टर रैली निकालने की घोषणा को राष्ट्रीय सुरक्षा की दृष्टि से गंभीर खतरा माना जा रहा है।