राज्यसभा के लिए नवनिर्वाचित 27 सदस्यों ने ली शपथ! जानें, किस पार्टी के हैं कितने सदस्य

शपथ लेने वालों में केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल, केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश, मुकुल वासनिक, राष्ट्रीय लोकदल के जयंत चौधरी समेत 27 सदस्य शामिल थे।

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हाल में राज्यसभा के द्विवार्षिक चुनाव में चुने गये 57 सदस्यों में से 27 ने 8 जुलाई को उच्च सदन की सदस्यता की शपथ ली। राज्यसभा के सभापति एम. वेंकैया नायडू ने सदन में सभी को सदस्यता की शपथ दिलाई।

शपथ लेने वालों में केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल, केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश, मुकुल वासनिक, राष्ट्रीय लोकदल के जयंत चौधरी समेत 27 सदस्य शामिल थे।

10 राज्यों से चुन कर आए इन 27 सदस्यों ने 10 भाषाओं में शपथ ली। हिंदी में 12 सदस्य, अंग्रेजी में 4, संस्कृत, कन्नड़, मराठी और उड़िया में दो-दो और पंजाबी, तमिल और तेलुगु में एक-एक सदस्य ने शपथ ली। 57 में से चार सदस्यों ने बीते दिनों शपथ ले ली है।

शपथ ग्रहण समारोह के बाद सभापति एम वेंकैया नायडू ने स्पष्ट किया कि वे निर्वाचित सदस्य जिन्होंने अभी भी शपथ नहीं ली है, वे भी 18 जुलाई को राष्ट्रपति चुनाव में मतदान कर सकते हैं। कुछ सदस्यों के पूछने पर नायडू ने उन्हें बताया कि राज्यसभा चुनाव जो सदस्य जीत कर आते हैं, उन्हें अधिसूचना की तारीख से ही सदन का सदस्य माना जाता है। नवनिर्वाचित सदस्यों का शपथ लेना सदन और उसकी समितियों की कार्यवाही में भाग लेने के लिए केवल एक आवश्यकता है।

केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल, केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश, मुकुल वासनिक, राष्ट्रीय लोकदल के जयंत चौधरी के साथ ही विवेक के तन्खा, सुरेंद्र सिंह नागर, डॉ के लक्ष्मण, डॉ लक्ष्मीकांत वाजपेयी, कल्पना सैनी, पं. सुलता देव और श्री आर. धर्मर शामिल हैं। नवनिर्वाचित 57 में से 14 सदस्य उच्च सदन के लिए पुनः चुने गए।

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सदन में शपथ लेने वाले सदस्यों को संबोधित करते हुए सभापति नायडू ने बताया कि सदन का आगामी मानसून सत्र भी कोविड-19 प्रोटोकॉल के अनुसार सामाजिक दूरी और सुरक्षा मानदंडों के अनुरूप होगा।

उन्होंने सदस्यों से सार्थक विचार-विमर्श और नियमों और परंपराओं का पालन कर सदन की गरिमा और मर्यादा को बनाए रखने का आग्रह किया। नायडू ने सदस्यों को सलाह दी कि वे सदन के विभिन्न दस्तावेजों के तहत उपलब्ध पर्याप्त अवसरों का उचित उपयोग करें और सत्र के दौरान नियमित रूप से सदन में उपस्थित रहें।

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