तेलंगाना चुनाव में भाई-भतीजावाद की बाढ़, भाई-बहन, पति-पत्नी, चाचा-बेटा मैदान में

कांग्रेस के सांसद कोमाटिरेड्डी वेंकट रेड्डी नलगोंडा से चुनाव लड़ रहे हैं। दूसरी ओर, उनके भाई कोमाटिरेड्डी राजगोपाल रेड्डी मुनुगोडे निर्वाचन क्षेत्र से मैदान में उतरे हैं।

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वन्दना बर्वे
Telangana Assembly Elections: भारतीय जनता पार्टी ने तो ‘भाई-भतीजावाद’ (Nepotism) के खिलाफ आक्रामक रुख अपनाया है, लेकिन इसका तेलंगाना (Telangana) के अन्य राजनीतिक दलों पर कोई खास असर होता नहीं दिख रहा है। साफ है कि तेलंगाना में राजनीतिक दलों ने बड़े पैमाने पर नेताओं के रिश्तेदारों को चुनाव मैदान में उतारा है।

तेलंगाना विधानसभा (Telangana Assembly) के लिए 30 नवंबर को मतदान होना है। चुनाव प्रचार जोरों पर है और हर राजनीतिक दल पूरी ताकत के साथ मैदान में उतर चुका है। बहरहाल, तेलंगाना में इस समय एक मुद्दा काफी जोर-शोर से चर्चा में है। उन्होंने कहा कि यहां के राजनीतिक दलों ने बड़े पैमाने पर नेताओं के परिवार के सदस्यों को मैदान में उतारा है। वहीं, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत तमाम बीजेपी नेता भाई-भतीजावाद के खिलाफ आक्रामक रुख अपनाए हुए हैं।

के. चन्द्रशेखर राव दो क्षेत्रों से लड़ रहे चुनाव
यूं देखा जाए तो इस तरह की बात सभी राजनीतिक पार्टियों में देखने को मिलती है। लेकिन साफ़ दिख रहा है कि सत्ताधारी भारत राष्ट्र समिति (Bharat Rashtra Samiti) सबसे आगे हैं। मुख्यमंत्री के. चन्द्रशेखर राव (K. Chandrashekhar Rao) गजवेल और कामारेड्डी नामक दो निर्वाचन क्षेत्रों से चुनाव लड़ रहे हैं। केसीआर के चिरंजीव और पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष के. टी. रामाराव सिरसिला मैदान में उतरे हैं। मुख्यमंत्री के भतीजे और राज्य के वित्त व स्वास्थ्य मंत्री टी हरीश राव भी सिद्दिपेट सीट से फिर चुनाव लड़ रहे हैं।

सांसद एन. उत्तमकुमार रेड्डी और उनकी पत्नी भी चुनाव मैदान में
भारस के कार्यकारी अध्यक्ष रामाराव ने हाल ही में नेताओं के बच्चों को टिकट देने के मुद्दे पर बयान दिया था। उन्होंने कहा था कि, ‘बच्चे अपने माता-पिता के डॉक्टर और सिने जगत सहित विभिन्न व्यवसायों में शामिल होते हैं। उसके साथ कुछ भी गलत नहीं है’। एक ओर हुजूरनगर सीट से कांग्रेस सांसद (Congress MP) एन. उत्तमकुमार रेड्डी को टिकट दिया गया है। वहीं उनकी पत्नी एन पद्मावती को कोडाद निर्वाचन क्षेत्र से उम्मीदवार बनाया गया है। मयनमपल्ली से मौजूदा विधायक हनुमंत राव हैदराबाद के मल्काजगिरी से चुनाव लड़ रहे हैं। वहीं उनके अपने चिरंजीव रोहित राव मेडक से मैदान में उतरे हैं। वह पहली बार चुनाव लड़ रहे हैं।

खास बात ये है कि कांग्रेस के टिकट पर मैदान में उतरे हनुमंतराव को भारत राष्ट्र समिति ने टिकट दिया। लेकिन वे अपने और बच्चे के लिए भी टिकट चाहते थे। भारस ने इससे इनकार किया। कांग्रेस ने भी यही देखा और बप्लेकास को टिकट की पेशकश की। कांग्रेस से टिकट मिलने के बाद हनुमंतराव ने केसीआर की पार्टी छोड़ दी और कांग्रेस में शामिल हो गए।

कांग्रेस सांसद और उनके भाई को टिकट
कांग्रेस के एक अन्य सांसद कोमाटिरेड्डी वेंकट रेड्डी नलगोंडा से चुनाव लड़ रहे हैं। दूसरी ओर, उनके भाई कोमाटिरेड्डी राजगोपाल रेड्डी मुनुगोडे निर्वाचन क्षेत्र से मैदान में उतरे हैं। कांग्रेस ने दो-दो भाई-बहनों को उम्मीदवार बनाया है। चेन्नुर से जी. विवेक और उनके दूसरे भाई जी. विनोद को बेल्लमपल्ली से टिकट दिया गया है।

निशाने पर कांग्रेस
कांग्रेस ने अपने चुनावी घोषणापत्र में ‘एक परिवार एक टिकट’ का वादा किया था। लेकिन, एक ही परिवार से कई उम्मीदवारों के नामांकन से कांग्रेस पार्टी बीजेपी और भारस के निशाने पर आ गई है। भारस के रामाराव ने कांग्रेस को नोटिस करना शुरू कर दिया है। कांग्रेस अपने घोषणापत्र पर कायम नहीं है। इस पार्टी के वादे पर कैसे भरोसा करें? उनके द्वारा इस तरह का प्रतिप्रश्न उठाया जा रहा है।

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