आदित्य ठाकरे ने राउत को इसलिए कर दिया ब्लैक लिस्टेड!

युवा सेना अध्यक्ष आदित्य ठाकरे मारपीट और हिंसा की संस्कृति को स्वीकार नहीं करते हैं और वे शिवसेना की पुरानी छवि को पूरी तरह से बदलने की कोशिश कर रहे हैं।

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शिवसेना की स्थापना के बाद इसकी पहचान एक आक्रामक पार्टी के रूप में होने लगी थी। लेकिन अब युवा सेना अध्यक्ष और शिवसेना नेता आदित्य ठाकरे इस पहचान को खत्म करने और पार्टी की अलग पहचान बनाने की कोशिश कर रहे हैं। इस स्थिति में जूनियर ठाकरे पार्टी सांसद संजय राउत से नाराज बताए जा रहे हैं।

बता दें कि शिवसेना भवन के सामने शिवसैनिकों द्वारा भाजपा पदाधिकारियों की पिटाई करने के बाद सांसद संजय राउत ने मीडिया से बात करते हुए कहा था कि शिवसेना एक प्रमाणित गुंडा पार्टी है। उनके इस बयान से पार्टी का चेहरा बदलने की कोशिश कर रहे आदित्य ठाकरे नाराज बताए जा रहे हैं और कहा जा रहा है कि उन्होंने राउत को ब्लैक लिस्टेड कर दिया है।

क्या कहा राउत ने?
अयोध्या राम मंदिर जमीन खरीदी में कथित रुप से घोटाले के मुद्दे पर शिवसेना ने भाजपा की आलोचना की थी। इसके विरोध में भाजपा जनता युवा मोर्चा ने शिवसेना भवन पर मोर्चा निकाला था। इस आंदोलन के दौरान शिवसेना के पदाधिकारियों ने भाजपा पदाधिकारियों की पिटाई कर दी थी। घटना के बाद मीडिया से बात करते हुए, संजय राउत ने कहा था कि शिवसेना एक प्रमाणित गुंडा पार्टी है और जो लोग शिवसेना भवन पर आंदोलन करेंगे, उनकी पिटाई की जाएगी।

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मौन हैं आदित्य ठाकरे
उसके बाद मुख्यमंत्री और पार्टी के कार्याध्यक्ष उद्धव ठाकरे शिवसेना भवन गए थे और भाजपा पदाधिकारियों की पिटाई करने वाले शिवसेना पदाधिकारियों की पीठ थपथपाई थी। हालांकि उद्धव ठाकरे ने पार्टी कार्याध्यक्ष के रूप में शिवसैनिकों की प्रशंसा की थी, लेकिन युवा सेना प्रमुख आदित्य ठाकरे ने अभी तक इस मामले पर कोई टिप्पणी नहीं की है। ट्विटर पर काफी कुछ शेयर करने वाले आदित्य ठाकरे ने इस मुद्दे पर न तो कुछ पोस्ट किया और न ही शिवसैनिकों की तारीफ की।

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छवि बदलना चाहते हैं आदित्य ठाकरे
शिवसेना के सूत्रों के मुताबिक, आदित्य ठाकरे मारपीट और हिंसा की संस्कृति को स्वीकार नहीं करते हैं और पार्टी की छवि को पूरी तरह बदलने की कोशिश कर रहे हैं। इसीलिए युवा सेना के पदाधिकारियों के कार्यक्रम में उन्होंने शिवसेना की पिछली परिभाषा 80 फीसदी समाजसेवा और 20 फीसदी राजनीति को बदल दिया और 100 प्रतिशत समाजसेवा तथा 100 प्रतिशत राजनीति की घोषणा की। वे युवा सेना के पदाधिकारियों को अनुशासित तरीके से व्यवहार करने की पाठ पढ़ा रहे हैं। वे शिवसेना की पुरानी संस्कृति और परंपरा को बदलकर उसका नया चेहरा गढ़ने की कोशिश कर रहे हैं।

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