कानपुरः आइआइटी में पीएम ने दिए युवाओं को सफलता के मंत्र, कही ये बात

"आज से शुरू हुई यात्रा में आपको सहूलियत के लिए शॉर्टकट भी बहुत लोग बताएंगे। लेकिन मेरी सलाह यही होगी कि आप कंफर्ट मत चुनना चैलेज जरूर चुनना।" प्रधानमंत्री

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भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान कानपुर के दीक्षांत समारोह में मुख्य अतिथि के रुप में प्रधानमंत्री शामिल हुए। इस अवसर पर  आइआइटी निदेशक अभय करंदीकर ने स्मृति चिह्न भेंट देकर उनका स्वागत किया।

प्रधानमंत्री ने दीक्षांत समारोह में ब्लॉकचेन-आधारित डिजिटल डिग्री लॉन्च की। ये डिजिटल डिग्री विश्व स्तर पर सत्यापित की जा सकती हैं और इसके साथ फर्जीवाड़ा संभव नहीं है। समारोह के दौरान प्रधानमंत्री ने 1,723 छात्रों को ऑनलाइन डिग्री प्रदान की।

सफलता के मंत्र
इस दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने आइआइटी में विद्यार्थियों को संबोधित किया। उन्होंने विद्यार्थियों को सफलता के कई मंत्र दिए। पीएम ने कहा कि ये दौर, ये 21वीं सदी, पूरी तरह टेक्नोलॉजी ड्राइवेन है। इस दशक में भी टेक्नोलॉजी अलग-अलग क्षेत्रों में अपना दबदबा और बढ़ाने वाली है। बिना टेक्नोलॉजी के जीवन अब एक तरह से अधूरा ही होगा। ये जीवन और टेक्नोलॉजी की स्पर्धा का युग है और मुझे विश्वास है कि इसमें आप जरूर आगे निकलेंगे।

कंफर्ट नहीं, चैलेंज चुननाः पीएम
पीएम ने अपने संबोधन में आगे कहा कि आज से शुरू हुई यात्रा में आपको सहूलियत के लिए शॉर्टकट भी बहुत लोग बताएंगे। लेकिन मेरी सलाह यही होगी कि आप कंफर्ट मत चुनना चैलेज जरूर चुनना। क्योंकि, आप चाहें या न चाहें, जीवन में चुनौतियां आनी ही हैं। जो लोग उनसे भागते हैं, वो उनका शिकार बन जाते हैं।

पीएम के संबोधन की खास बातें
-अब फेयर ऑफ अननोन नहीं है, अब पूरी दुनिया को एक्सप्लोर करने का हौसला है। अब क्वरी ऑफ अननोन नहीं है, अब क्वेस्ट फॉर द बेस्ट है, पूरी दुनिया पर छा जाने का सपना है।

-आपने जब आइआइटी कानपुर में प्रवेश लिया था और अब जब आप यहां से निकल रहे हैं, तब और अब में, आप अपने में बहुत बड़ा परिवर्तन महसूस कर रहे होंगे। यहां आने से पहले एक फेयर ऑफ अननोन होगा, एक क्वरी ऑफ अननोन होगी।

-कानपुर भारत के उन कुछ चुनिंदा शहरों में से है, जो इतना डाइवर्स है। सत्ती चौरा घाट से लेकर मदारी पासी तक,नाना साहब से लेकर बटुकेश्वर दत्त तक,जब हम इस शहर की सैर करते हैं तो ऐसा लगता है जैसे हम स्वतंत्रता संग्राम के बलिदानों के गौरव की, उस गौरवशाली अतीत की सैर कर रहे हैं।

-1930 के उस दौर में जो 20-25 साल के नौजवान थे, 1947 तक उनकी यात्रा और 1947 में आजादी की सिद्धि, उनके जीवन का गोल्डन फेज थी।

-आज आप भी एक तरह से उस जैसे ही गोल्डन एरा में कदम रख रहे हैं। जैसे ये राष्ट्र के जीवन का अमृतकाल है, वैसे ही ये आपके जीवन का भी अमृतकाल है।

-जो सोच और एटीट्यूड आज आपका है, वही एटीट्यूड देश का भी है।

-पहले अगर सोच काम चलाने की होती थी, तो आज सोच कुछ कर गुजरने की, काम करके नतीजे लाने की है। पहले अगर समस्याओं से पीछा छुड़ाने की कोशिश होती थी, तो आज समस्याओं के समाधान के लिए संकल्प लिए जाते हैं।

-जब देश की आजादी को 25 साल हुए, तब तक हमें भी अपने पैरों पर खड़ा होने के लिए बहुत कुछ कर लेना चाहिए था।तब से लेकर अब तक बहुत देर हो चुकी है, देश बहुत समय गंवा चुका है। बीच में 2 पीढ़ियां चली गईं, इसलिए हमें 2 पल भी नहीं गंवाना है:

-मेरी बातों में आपको अधीरता नजर आ रही होगी लेकिन मैं चाहता हूं कि आप भी इसी तरह आत्मनिर्भर भारत के लिए अधीर बनें। आत्मनिर्भर भारत, पूर्ण आजादी का मूल स्वरूप ही है, जहां हम किसी पर भी निर्भर नहीं रहेंगे:

-कौन भारतीय नहीं चाहेगा कि भारत की कंपनियां ग्लोबल बनें, भारत के प्रोडक्ट ग्लोबल बनें।

-जो आइआइटी को जानता है, यहां के टैलेंट को जानता है, यहां के प्रोफेसर्स की मेहनत को जानता है, वो ये विश्वास करता है ये आइआइटी के नौजवान जरूर कुछ नया करेंगे।

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