जानिये, अजीत पवार गुट में शामिल होने की चर्चा के बीच क्या बोले जयंत पाटील?

अजीत पवार ने राज्य इकाई प्रमुख के रूप में पाटील के पांच साल से अधिक के कार्यकाल को अपने चाचा से अलग होने के बहाने के रूप में इस्तेमाल किया था। लेकिन अब पाटील के अजीत गुट में शामिल होने की चर्चा है।

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अजीत पवार के शरद पवार के नेतृत्व वाली राकांपा से नाता तोड़ने और कई विधायकों के साथ सत्तारूढ़ भाजपा-शिंदे सेना सरकार में शामिल होने के लगभग एक महीने बाद, अब विधायक दल के नेता और राज्य इकाई के प्रमुख जयंत पाटील के राकांपा प्रमुख के भतीजे के गुट में शामिल होने की अटकलें तेज हो गई हैं। हालांकि स्वयं जयंत पाटील ने अब इस खबर पर पूर्ण विराम लगा दिया है।

जयंत पाटील ने कहा- “मैं शरद पवार के साथ हूं।”
खुद को एनसीपी के अजीत पवार गुट में शामिल होने की खबर को जयंत पाटील ने निराधार बताया है। 6 अगस्त को मीडिया से बात करते हुए पाटील ने कहा कि उनकी न पुणे दौरे पर आए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात हुई है और न बात हुई है। पाटील ने कहा कि वे दिल्ली भी नहीं गए हैं और न अमित शाह के पुणे प्रवास से दौरान उनसे मिले हैं। उनका अधिकांश समय पार्टी ऑफिस में गुजरा है और वे पूरी तरह शरद पवार के साथ है। उन्होंने कहा कि उनके अजीत पवार गुट में जाने की खबर मीडिया में चलाई जा रही है और मेरा उससे कोई भी लेनादेना नहीं है। मैं शरद पवार के साथ हूं।

मीडिया में खबर है कि पाटील ने अजीत पवार और उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के साथ संभावित कदम के बारे में बैठकें की हैं लेकिन पाटील ने कहा कि उन्होंने कोई बैठक नहीं की है और न ही उनका ऐसा कोई इरादा है।

पाटील ने की है अजीत पवार के आठ विधायकों को अयोग्य ठहराने की मांग
बता दें कि अजीत पवार ने जब से विद्रोह का नेतृत्व किया और उनके गुट ने पार्टी के नाम के साथ-साथ चुनाव चिन्ह पर भी दावा किया है, तब से विधायक दल पर पूर्ण नियंत्रण हासिल करने के लिए विधायक दल के नेता का पद महत्वपूर्ण हो गया है। पाटील पहले ही स्पीकर राहुल नार्वेकर को पत्र लिखकर अजीत पवार और आठ अन्य को अयोग्य ठहराने की मांग कर चुके हैं।

वास्तविक ताकत स्पष्ट नहीं
अयोग्य ठहराए जाने का खतरा सिर पर मंडराने और अजीत गुट की वास्तविक ताकत पर कोई स्पष्टता नहीं होने के कारण, एनसीपी के अधिकांश विधायकों ने एनसीपी के किसी भी गुट के प्रति वफादारी के प्रदर्शन से बचने के लिए पूरे मानसून सत्र में सदन में उपस्थित नहीं होने का फैसला किया। सत्तारूढ़ राज्य सरकार में पाटील का शामिल होना न केवल यह पुष्टि करने के लिए महत्वपूर्ण है कि अधिकांश राकांपा विधायक अजीत पवार का समर्थन करते हैं, बल्कि पार्टी पर दावा करने के लिए भी महत्वपूर्ण है।

अजीत पवार ने कसा था तंज
विधान सभा में हल्के-फुल्के मजाक में अजीत पवार ने पाटील पर ताना भी मारा कि वे और फडणवीस के इशारे का इंतजार कर रहे हैं। अजीत पवार को समर्थन देने का वादा करने वाले वरिष्ठ नेता सुनील तटकरे के साथ और बाद में सार्वजनिक तौर पर खुद पवार के साथ पाटील की दोस्ताना बातचीत ने ध्यान खींचा है और अटकलों को हवा मिली है।

पाटील ने दी थी सफाई
हालांकि, पाटील ने सत्र के दौरान भी कहा था कि शरद पवार का साथ छोड़ने का कोई सवाल ही नहीं है। पाटील ने कहा, “हम एक-दूसरे को वर्षों से जानते हैं और दोस्ताना बातचीत होना स्वाभाविक है, जो भविष्य में भी जारी रहेगा। लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि मैं कहीं जा रहा हूं।” हालांकि, राकांपा की राज्य इकाई के प्रमुख ने सरकार में शामिल होने को लेकर उनके और सत्तारूढ़ गठबंधन के सदस्यों के बीच कथित बैठकों पर कोई टिप्पणी नहीं की है।

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दोनों एक दूसरे के प्रतिस्पर्धी
दिलचस्प बात यह है कि अजीत पवार ने राज्य इकाई प्रमुख के रूप में पाटील के पांच साल से अधिक के कार्यकाल को अपने चाचा से अलग होने के बहाने के रूप में इस्तेमाल किया था। दोनों नेताओं को पार्टी के भीतर प्रतिस्पर्धी के तौर पर देखा जाता रहा है। बगावत के बाद से ही पाटील शरद पवार के साथ बने हुए हैं।

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