जम्मू-कश्मीर को केंद्र शासित प्रदेश बने एक साल का समय बीत चुका है। इसके साथ ही अब शुरू हो गया है पुरानी लूट-खसोट का हिसाब-किताब। इसमें रोशनी एक्ट का नाम सबसे आगे है। इस कानून को बनानेवाले इससे बुरी तरह डरे हुए हैं। ये डर इस स्तर पर है कि इन नेताओं को अपने विरोधियों से हाथ मिलाने में भी संकोच न रहा। तो आइये जानते हैं क्या है ‘रोशनी एक्ट’ जिसने बुझा दी इऩ नेताओं के दिमाग की बत्ती…
* गरीबों और कब्जा धारकों को जमीनों का मालिकाना देने के लिए
* सन 2001 में नेशनल कांफ्रेंस सरकार ने रोशनी एक्ट बनाया
* इससे इकट्ठा होने वाली धनराशि को बिजली परियोजना में लगाने की बात कही
* एक्ट के अंतर्गत 1999 से पहले सरकारी जमीनों के कब्जेदारों को मालिकाना अधिकार
* सन 2004 में रोशनी एक्ट में किया गया संशोधन
* संशोधन में सन 1999 के कब्जे के नियम को समाप्त कर दिया गया
* नया प्रावधान, जिसके कब्जे में सरकारी जमीन, वह मालिक
* रोशनी एक्ट के तहत कमेटियां बनाई गईं
* भूमि का बाजार मूल्य निर्धारित करना था, लेकिन नियमों की हुई अनदेखी
* लाभ लेने के लिए सरकारों ने इसमें संशोधन जारी रखा
* आरोप है कि, राजनेता व नौकरशाह सरकारी जमीनों के मालिक बनते गए
अब लग गई है रोक
* 13 नवंबर 2018 को हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने रोशनी एक्ट के तहत हर तरह के लेनदेन पर रोक लगा दी
* 28 नवंबर 2018 को तत्कालीन राज्यपाल सत्यपाल मलिक की अध्यक्षता में प्रदेश प्रशासनिक परिषद ने भी रोक लगा दी
…तो अब यही मजा इन नेताओं के लिए सजा बन गया है। क्योंकि हाइकोर्ट में चल रहे मामले के अनुसार याचिकाकर्ता सरकारी जमीनों को कब्जा मुक्त कराना चाहता है। इसके लिए 2016 में एडवोकेट अंकुर शर्मा ने हाइकोर्ट में सरकारी जमीन कब्जेदारों के नाम किये जाने के फैसले के खिलाफ एक याचिका दायर की थी। जिसकी सुनवाई में हाइकोर्ट ने दबाव डालकर राजस्व विभाग से रोशनी एक्ट के लाभार्थियों की सूची डिवीजन बेंच के सामने पेश करने को कहा। इसमें जम्मू संभाग के 25 हजार व कश्मीर के 45 हजार लोग शामिल हैं, जिन्होंने पहले सरकारी जमीनों पर कब्जा किया और बाद में रोशनी एक्ट के तहत उसके मालिक बन गए। बीजेपी ने योग्य अवसर देखकर अब सरकार की तरफ से भी रोशनी एक्ट के मामले की जांच शुरु करा दी है।
अब उन सभी लोगों के नाम सार्वजनिक होंगे, जो रोशनी एक्ट के तहत जमीन के मालिक बने हैं और छह माह में वह जमीन भी वापस ली जाएगी। इसी की छटपटाहट मानी जा रही है कश्मीर के नेताओं के बीच हुआ गुपकार समझौता।
घोटाले का लगता रहा है आरोप
रोशनी एक्ट में 25 हजार करोड़ रुपये के घोटाले का आरोप सन 2013 में तत्कालीन प्रिंसिपल एकाउंटेंट जनरल ने लगाए थे। सन 2013 में एससी पांडे ने एक पत्रकार सम्मेलन में सार्वजनिक रूप से कंप्ट्रोलर एंड ऑडिटर जनरल ऑफ इंडिया (सीएजी) की वर्ष 2012-13 की रिपोर्ट में रोशनी एक्ट से जुड़ी योजना के विभिन्न पहलुओं को उजागर किया था। एससी पांडे ने कहा था कि, “सरकार और राजस्व विभाग ने सभी नियम-कानूनों की धज्जियां उड़ाकर जमीन बांटी और जम्मू-कश्मीर के इतिहास में अब तक के सबसे बड़े घोटाले की इमारत तैयार कर दी। इतना ही नहीं, कृषि भूमि को मुफ्त में ही ट्रांसफर कर दिया गया।”
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