विपक्षी दलों की बैठक के पहले I.N.D.I.A में संभ्रम! महाराष्ट्र से दिल्ली तक दलों में पावर गेम, गठबंधन की स्थिति गड़बड़

आईएनडीआईए गठबंधन में क्षेत्रीय दलों का वर्चस्व है। यह छोटे दल अपने राज्यों में शक्तिशाली हैं। ऐसी स्थिति में लगभग सभी छोटे दलों का कांग्रेस को लेकर अंतर्विरोध जगजाहिर है। अब महाराष्ट्र और दिल्ली की राजनीति ने इस गठबंधन में गड़बड़झाले का संदेह उत्पन्न कर दिया है।

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आईएनडीआईए गठबंधन

विपक्षी दलों के गठबंधन आईएनडीआईए (I.N.D.I.A) में आपसी खींचतान और संभ्रम की स्थिति बन गई है। महाराष्ट्र (Maharashtra) में चाचा-भतीजे के मेल मिलाप से विपक्षी दलों की महाविकास आघाड़ी (Mahavikas Aghadi) को बिखरने की स्थिति से बचने का प्रयास हो रहा है, वहीं दिल्ली (Delhi) में कांग्रेस (Congress) की रणनीति ने आम आदमी पार्टी (AAP) के साथ गठबंधन को लेकर असमंजस की स्थिति पैदा कर दी है।

विपक्षी दलों के गठबंधन आईएनडीआईए (I.N.D.I.A) की 31 अगस्त को मुंबई (Mumbai) में बैठक होनी है। उसके पहले ही महाराष्ट्र से लेकर दिल्ली कर संभ्रम निर्माण की स्थिति बन गई है। महाराष्ट्र में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP)(एनसीपी) दो धड़ों में बँटी हुई है। एनसीपी के संस्थापक शरद पवार (Sharad Pawar) से अलग होकर उनके भतीजे अजीत पवार (Ajit Pawar) ने विधायकों का बड़ा गुट बना लिया है और भाजपा (BJP) शिवसेना (Shivsena) की सरकार में शामिल हो गए हैं। एनसीपी के अलग गुट के बाद चाचा भतीजे में होनी तो थी वर्चस्व की लड़ाई, परंतु तीन दिनों पहले चाचा शरद पवार और भतीजे अजीत पवार की पुणे में व्यवसाई चोरडिया के घर हुई बैठक से संभ्रम की स्थिति उत्पन्न हो गई। महाराष्ट्र में एनसीपी, कांग्रेस और शिवसेना उद्धव बालासाहेब ठाकरे (Shivsena UBT) के गुट ने महाविकास आघाड़ी बनाई थी, जो पिछले ढाई वर्ष तक राज्य में सत्ता में रही, लेकिन शिवसेना में हुए विघटन के बाद सरकार गिर गई और शिवसेना के अलग हुए धड़े ने एकनाथ शिंदे (Eknath Shinde) के नेतृत्व में भाजपा के साथ मिलकर सरकार बना ली। इसमें तीसरा दल जुड़ा एनसीपी से अजीत पवार के नेतृत्व में अलग हुआ गुट।

दिल्ली में दिल टूटे?
आईएनडीआईए में कांग्रेस (Congress) सबसे बड़ा दल है। बेंगलुरू की बैठक के बाद कांग्रेस मुख्य भूमिका में आ गई है। आईएनडीआईए के 26 दलों के गठबंधन में आम अदमी पार्टी भी शामिल है। आम आदमी पार्टी (आप) के गठबंधन से अलग होने की धमकी के बाद ही आईएनडीआईए गठबंधन ने संशोधित दिल्ली कानून के विरोध में मतदान किया था। लेकिन बुधवार को कांग्रेस की नेता अलका लांबा (Congress Alka Lamba)के एक बयान ने कांग्रेस और आप के बीच दूरियां स्पष्ट कर दी हैं। कांग्रेस नेता अलका लांबा ने एक मीडिया एजेंसी को दिये वीडियो साक्षात्कार में कहा है कि, कांग्रेस दिल्ली की सातों लोकसभी सीटों के लिए तैयारी कर रही है। इसके बाद आप की ओर से पलटवार किया गया। आप के सौरभ भारद्वाज (Saurabh Bhardwaj) ने तो कह दिया कि, इस विषय पर बोलने के लिए अलका लांबा अधिकृत नहीं हैं। दिल्ली में गठबंधन को लेकर यह बयानबाजी दोनों दलों के दिल टूटने की आहट भी हो सकती है। क्योंकि, दिल्ली और पंजाब को आप अपना मजबूत जनमतवाला राज्य मानती है, जिसमें कांग्रेस को साथ लेना अपना मत भ्रमित करना हो सकता है। ऐसे में अलका लांबा का बयान आप के लिए गठबंधन से अलग होने का कारण बन सकता है।

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