असम में अब हथियारों ने शांति तलाशी… एक और जनजातीय समूह मुख्यधारा में लौटा

असम में अशांति के कारणों का महत्वपूर्ण निदान बीते वर्षों में निकलकर सामने आया है। जिसमें जनजातीय समूहों के साथ सरकार के समन्वय से यह संभव होगा।

159

असम में शांति स्थापना के लिए एक बड़ा कदम उठाया गया है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, असम के मुख्यमंत्री डॉ.हिमंत बिस्वा सरमा और कार्बी संगठनों की बैठक हुई। जिसमें एक शांति समझौते पर हस्ताक्षर किया गया। इस समझौते का प्रतिफल असम में विद्रोहियों के हथियारों की खामोशी के साथ मिलना शुरू हो चुका है।

राज्य में कार्बी एक जनजातीय समूह है। ये अपनी पहचान, संस्कृति और क्षेत्रीय आधिपत्य को संजोए रखने के लिए वर्षों से अलग कार्बी लैंड की मांग कर रहे थे। इस पर चर्चा के माध्यम से असम सरकार, कार्बी संगठनों और केंद्र सरकार ने हल निकाल लिया। जिसके बाद कार्बी जनजातीय समूह के पांच से अधिक विद्रोही समूहों के 1039 उग्रवादियों ने हथियार डाले थे। ये सभी उग्रवादी गृह मंत्री अमित शाह के असम दौरे के समय 25 फरवरी 2021 को हथियार डाले थे।

ये भी पढ़ें – पूजा पर पाबंदी! मनसे की आरती में ऐसे पड़ा खलल

ये सभी उग्रवादी पीपुल्स डेमोक्रेटिक काउंसिल ऑफ कर्बी लोंगरी (पीडीसीके), कर्बी लोंगरी एन सी हिल्स लिबरेशन फ्रंट (केएलएनएलएफ), कर्बी पीपुल्स लिबरेशन टाइगर (केपीएलटी), कुकी लिबरेशन फ्रंट (केएलएफ) और यूनाइटेड पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (यूपीएलए) से संबद्ध थे।

इसके पहले हुआ था बोडो समझौता
वर्ष 2020 में गृह मंत्री अमित शाह की मौजूदगी में पांच दशकों से चली आ रही बोडो समस्या का समाधान निकला। 27 फरवरी 2020 को एक समझौता हुआ जिसमें, भारत सरकरा, असम सरकार और बोडो जनजातीय दलों के बीच समझौता हुआ था। पांच दशकों के संघर्ष में लगभग चार हजार लोगों की जान गई थी।

Join Our WhatsApp Community
Get The Latest News!
Don’t miss our top stories and need-to-know news everyday in your inbox.