कांग्रेस ने यूसीसी का किया विरोध, नेटिजन ने लगा दी क्लास

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री पी चिदंबरम ने जहां यूसीसी का विरोध किया है, वहीं अरविंद केजरीवाल की पार्टी आम आदमी पार्टी इसे लागू करने के पक्ष में दिख रही है।

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा समान आचार संहिता को देश की जरुरत बताने के बाद एक बार फिर देश में इसे लेकर राजनीति तेज हो गई है। विपक्ष इस मुद्दे पर भी बंटता नजर आ रहा है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री पी चिदंबरम ने जहां इसका विरोध किया है, वहीं अरविंद केजरीवाल की पार्टी आम आदमी पार्टी इसे लागू करने के पक्ष में दिख रही है। इस कारण विपक्षी एकता को जहां बड़ा झटका लग सकता है, वहीं इसका असर 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव में भी होने से इनकार नहीं किया जा सकता है।

कहा तो यह भी जा रहा है कि मोदी सरकार इसे जल्द ही होने वाले मॉनसून सत्र में लाने की रणनिति बना रही है। हालांकि इस बारे में निश्चित तौर पर कुछ भी नहीं कहा जा सकता है। फिलहाल कांग्रेस के वरिष्ठ नेता चिदंबरम के इसके विरोध में ट्वीट का नेटिजेन करार जवाब देते हुए दिख रहे हैं।

पी. चिदंबरम ने क्या कहाः
“प्रधान मंत्री ने समान नागरिक संहिता (यूसीसी) की वकालत करते हुए एक राष्ट्र को एक परिवार के बराबर बताया है।हालांकि अमूर्त अर्थ में उनकी तुलना सच लग सकती है, लेकिन वास्तविकता बहुत अलग है। एक परिवार खून के रिश्तों से एक सूत्र में बंधा होता है। एक राष्ट्र को संविधान द्वारा एक साथ लाया जाता है, जो एक राजनीतिक-कानूनी दस्तावेज है। एक परिवार में भी विविधता होती है। भारत के संविधान ने भारत के लोगों के बीच विविधता और बहुलता को मान्यता दी है। यूसीसी को एजेंडा-संचालित बहुसंख्यकवादी सरकार द्वारा लोगों पर थोपा नहीं जा सकता। प्रधान मंत्री इस बात को ऐसे कह रहे हैं, जैसे यूसीसी लागू करना एकदम सरल है। उन्हें पिछले विधि आयोग की रिपोर्ट पढ़नी चाहिए, जिसमें बताया गया था कि इस समय यह संभव नहीं है। भाजपा की कथनी और करनी के कारण आज देश बंटा हुआ है। लोगों पर थोपा गया यूसीसी केवल देश के लोगों में द्वेश बढ़ाएगा। प्रधानमंत्री का यूसीसी के लिए बात करना मुद्रास्फीति, बेरोजगारी, अपराध, भेदभाव और राज्यों के अधिकारों को नकारने से ध्यान भटकाना है। लोगों को सतर्क रहना होगा।सुशासन में विफल होने के बाद, भाजपा मतदाताओं का ध्रुवीकरण करने और अगला चुनाव जीतने का प्रयास करने के लिए यूसीसी लागू करने की बात कर रही है।”

कांग्रेस नेता पी. चिदंबरम के इस ट्वीट पर नेटीजन ने उनकी क्लास लगा दी है। इमीनैंट इंटलेक्चुएल ने इसके प्रतिक्रिया स्वरूप ट्वीट किया है, “भारत के संविधान के अनुच्छेद 44 में यूसीसी को लेकर कहा गया है कि सरकार इसे लागू कर सकती है। भाजपा ने इसे अपने घोषणा पत्र में भी शामिल किया था। यूसीसी लागू होने के बाद तलाक, महिलाओं के अधिकार के साथ मुसलमानों को दी गई विशेष छूट समाप्त हो जाएगी। लेकिन चिदंबरम को ये पसंद नहीं आ रहा है। चिदंबरम अल्लाह हो अकबर के नारे लगा रहे हैं।”

प्रसाद कारवा नामक नेटीजन ने ट्वीट किया है,”आपके अनुसार डिजिटलाइजेशन भी संभव नहीं था, लेकिन आज छोटे विक्रेता भी डिजिटल भुगतान स्वीकार करते हैं।”
विभोर अय्यर नामक नेटीजेन ने ट्वीट किया है,”मेरी राय में हमें डिजिटलीकरण और यूसीसी को नहीं जोड़ना चाहिए। डिजिटलीकरण ने वित्तीय परिवर्तन लाया, लेकिन यूसीसी सामाजिक परिवर्तन लाएगा। यूसीसी भारत के लिए आवश्यक है और यदि इसे चुनावी परिदृश्यों को ध्यान में रखे बिना योजनाबद्ध तरीके से लागू किया जाए तो यह एक स्वागत योग्य कदम होगा।”
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