सीडब्ल्यूसी से बालासाहब थोरात का पत्ता साफ, इस कारण हो गया गेम

पिछले विधानसभा चुनाव के दौरान तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी प्रचार के लिए सीधे संगमनेर आये थे। उस चुनाव के दौरान वरिष्ठ नेता राधाकृष्ण विखे पाटील समेत कई नेता कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल हो गए थे।

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कांग्रेस की नई कार्यसमिति की घोषणा 20 अगस्त को की गई है। इस समिति में महाराष्ट्र से आठ नेताओं को शामिल किया गया है। लेकिन पिछली समिति में शामिल वरिष्ठ नेता बालासाहेब थोरात को अब हटा दिया गया है। साथ ही नई कार्यसमिति में पूर्व मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण का नाम शामिल नहीं होने की जानकारी मिल रही है।

पिछले विधानसभा चुनाव के दौरान तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी प्रचार के लिए सीधे संगमनेर आये थे। उस चुनाव के दौरान वरिष्ठ नेता राधाकृष्ण विखे पाटील समेत कई नेता कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल हो गए थे। इसलिए महाराष्ट्र में कांग्रेस के बैकफुट पर आने की तस्वीर सामने आई थी। ऐसे में थोरात निष्ठापूर्वक पार्टी के साथ बने रहे। इसके अलावा थोरात को गांधी परिवार का करीबी माना जाता है। उस वक्त राहुल गांधी संगमनेर में रुके थे। तब कहा गया था कि थोरात को बड़ा मौका मिलेगा और आगे वैसा ही हुआ भी।

पार्टी ने दिया जोर का झटका
बालासाहेब थोरात को राज्य में मौका दिया गया। साथ ही थोरात को पार्टी की राष्ट्रीय समिति में भी शामिल किया गया। इस बीच महाविकास आघाड़ी सरकार बनी। इसे स्थापित करने में थोरात ने प्रमुख भूमिका निभाई। बाद में वह सरकार चली गयी। इसके साथ ही हाल ही में विधान परिषद के नासिक स्नातक निर्वाचन क्षेत्र का चुनाव हुआ। थोरात के भतीजे सत्यजीत तांबे ने बगावत कर दी। उनके पिता डाॅ. सुधीर तांबे को पार्टी ने उम्मीदवार बनाया , हालांकि, उन्होंने समय पर अपनी उम्मीदवारी दाखिल नहीं की। सत्यजीत की अर्जी निर्दलीय के तौर पर दाखिल की गई थी। चर्चा थी कि सत्यजीत बीजेपी के साथ जाएंगे। माना जाता है कि थोरात उस समय अस्पताल में थे। हालांकि सत्यजीत सीधे तौर पर बीजेपी में शामिल नहीं हुए, लेकिन उन्होंने बीजेपी के समर्थन से जीत हासिल की। पार्टी ने तांबे के खिलाफ कार्रवाई की। थोरात को भी आलोचना और पूछताछ का सामना करना पड़ा। उस समय प्रदेश अध्यक्ष नाना पटोले और थोरात के बीच काफी टकराव हुआ था।

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 भाजपा से भतीजे का जुड़ाव
इस बीच, जीतने के बाद भी तांबे ने दोबारा पार्टी में शामिल होने से परहेज किया। इसके उलट उनका बीजेपी से जुड़ाव बना हुआ है। माना जाता है कि बालासाहेब थोरात की राजनीति भतीजे तांबे की रणनीति से प्रभावित हुआ है। कहा जा रहा है कि इसी कारण उन्हें इस बार कार्यसमिति में जगह नहीं मिली।

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