हाथ-घड़ी मिली और चल गया तीर, कमल मुरझाया

बीजेपी के बिहार चुनाव प्रभारी और महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के पास फिलहाल वेट एंड वॉच के आलावा और कोई रास्ता नहीं है। राज्य में सत्ता गंवाने के बाद अब मुबंई महानगरापिलका में भी शिवसेना ने कांग्रेस, एनसीपी और समाजवादी पार्टी की मदद से बीजेपी को जोर का झटका दिया है। उसे बीएमसी की चार प्रभाग समितियों से बेदखल होना पड़ा है।

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महाराष्ट्र के राजनैतकि परिदृश्य में हर दिन बदलाव देखने को मिल रहा है। दोस्ती का दम भरनेवाली भारतीय जनता पार्टी और शिवसेना की युति क्या टूटी, महाराष्ट्र की राजनीति का पूरा समीकरण ही बदल गया। 2019 में मुख्यमंत्री की कुर्सी को लेकर युति में शुरू हुई अनबन के बाद शिवसेना ने अपनी जिद पूरी करने के लिए कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के साथ गंठबंधन कर लिया। इस तरह के गठबंधन के बारे में इससे पहले तो लोग यही सोचते थे,” न भूतो न भविष्यति।” लेकिन मजबूरी में हुई दोस्ती अब तीनों को रास आने लगी है।

वेट एंड वॉच की भूमिका में फडणवीस
बीजेपी के बिहार चुनाव प्रभारी और महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के पास फिलहाल वेट एंड वॉच के आलावा और कोई रास्ता नहीं है। राज्य में सत्ता गंवाने के बाद अब मुबंई महानगरापिलका में भी शिवसेना ने कांग्रेस, एनसीपी और समाजवादी पार्टी की मदद से बीजेपी को जोर का झटका दिया है। उसे बीएमसी की चार प्रभाग समितियों से बेदखल होना पड़ा है।

सत्ता में शामिल नहीं होने का किया था ऐलान
देवेंद्र फडणवीस ने बीएमसी में सत्ता स्थापना को लेकर कहा था कि बीजेपी बीएमसी में पहरेदार की भूमिका निभाएगी और  पद पर जीत हासिल करने के लिए किसी पार्टी की मदद नहीं लेगी। यह बयान देकर फडणवीस ने एक तरह से शिवसेना के लिए बीएमसी में सत्ता का रास्ता प्रशस्त कर दिया था। लेकिन जहां बीजेपी के नगरसेवकों की संख्या अधिक थी, उन 9 प्रभाग समितियों में पार्टी के अध्यक्ष बनाए गए थे। अब राज्य में राजनैतिक समीकरण बदलने के बाद शिवसेना ने कांग्रेस,एनसीपी और समाजवादी पार्टी की मदद से 9 में से चार प्रभाग समितियों के अध्यक्ष पद से हटाकर बीजेपी को तगड़ा झटका दिया है।

कांग्रेस, एनसीपी और समाजवादी रही थीं तटस्थ
दरअस्ल बीएमसी में 2017 तक शिवसेना-भाजपा की युति रहने के बाद दोनों ही पार्टियां अलग होकर अपने दम पर चुनाव मैदान में उतरीं। इस चुनाव में दोनों ही पार्टियों ने सभी सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे और शिवसेना ने 84 जबकि बीजेपी ने 82 सीटों पर जीत दर्ज करने में कामयाबी हासिल की। जिन प्रभागों में बीजेपी के अधिक नगरसेवक थे, उन 9 समितियों पर अपना कब्जा जमा लिया। दूसरी ओर सत्ताधारी शिवसेना को 8 प्रभाग समितियों के अध्यक्ष पद मिले। कांग्रेस, एनसीपी और समाजवादी पार्टी ने इसमें तटस्थ रहने की भूमिका अपनाई थी। इस वजह से बीजेपी को 9 प्रभाग समितियों पर कब्जा करने में सफलता हासिल हुई थी।

फडणवीस सरकार के निर्णयों पर एमवीए सरकार की टेढ़ी नजर
अब शिवसेना की बीजेपी से युति टूटे काफी दिन हो चुके हैं, और शिवसेना की अगुआई में महाविकास आघाड़ी गठबंधन की सरकार ठीकठाक चल रही है। ऐसे में उसे बीजेपी से दोस्ती की कोई राजनैतिक मजबूरी नहीं दिख रही है। यही वजह है कि शिवसेना ने अपने नये पार्टनर्स के साथ मिलकर बीजेपी को हर क्षेत्र में जोर का झटका देना शुरू कर दिया है। फडणवीस सरकार द्वारा प्रस्तावित आरे कॉलोनी कारशेड को कांजुरमार्ग में शिफ्ट करने के फैसले के बाद इस सरकार ने जलयुक्त शिवार योजना पर भी एसआईटी बिठाने का  निर्णय लिया है। इससे पहले फडणवीस सरकार की कई योजनाओं को भी महाविकास आघाड़ी सरकार ने या तो बंद कर दिया है या फिर उसे ठंडे बस्ते में डाल दिया है।

शिवसेना का अब 12 प्रभाग समितियों पर कब्जा
जिन प्रभाग समितियों के अध्यक्ष पदों से बीजेपी को हाथ धोना पड़ा है, उनमें कुलाबा, मदनपुरा, भायखला ‘ए, बी व ई’ प्रभाग समिति, अंधेरी पूर्व की ‘के/ पूर्व’, मालाड ‘पी/ उत्तर’और मुलुंड- भांडुप- विक्रोली या ‘एस एंड टी’ शामिल हैं। अब बीजेपी के पास मात्र 5 प्रभाग समितियां रह गई हैं, जबकि शिवसेना का 12 समितियों पर कब्जा हो गया है। फिलहाल इन प्रभाग समितियों के अध्यक्ष पदों पर चुनाव कराया जाना था लेकिन कोरोना महामारी की वजह से इसका समय छह माह बढ़ा दिया गया है। अब 2021 में चुनाव कराए जाएंगे।

पहले की भाजपा के कब्जेवाली प्रभाग समितियां
ए, बी व ई, सी व डी, के/ पूर्व, के/ पश्चिम, पी/ उत्तर, पी/ दक्षिण, आर/ दक्षिण, एस एंड टी, एम/ पश्चिम

बीजेपी के हाथ से निकलीं प्रभाग समितियां
ए, बी व ई, के/ पूर्व, पी/ उत्तर, एस एंड टी,

बीजेपी के कब्जेवाली (बची हुई) समितियां
सी व डी, के/ पश्चिम, पी/ दक्षिण, आर/ दक्षिण, एम/ पश्चिम

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