देश के चार राज्य और एक केंद्र शासित प्रदेश पुडुचेरी में चुनाव की तारीखों का ऐलान हो गया है, लेकिन कांग्रेस को इससे कोई फर्क पड़ता नहीं दिख रहा है। भारतीय जनता पार्टी समेत अन्य पार्टियां जहां इस चुनाव में अपनी पूरी ताकत झोंक रही हैं, वहीं कांग्रेस में अंदरुनी घमासान मचा है। पार्टी का कोई भी बड़ा नेता चुनाव को लेकर सक्रिय नहीं दिखाई दे रहा है। सिर्फ राहुल गांधी और पार्टी की महासचिव प्रियंका गांधी की सक्रियता दिख रही है। राहुल जहां कई दिनों से केरल और तमिलनाडु में मतदाताओं को रिझाने के लिए पुश अप्स से लेकर डांस तक कर रहे हैं, वहीं प्रियंका गांधी असम में मतदाताओं को आकर्षित करने की कोशिश कर रही हैं। इस हाल में इन प्रदेशों में होनेवाले चुनावों में पार्टी क्या हश्र हो सकता है, इसका अंदाजा लगाना मुश्किल नहीं है।
When our party comes into power, a law will be enacted to ensure that CAA is not implemented here. 200 units of electricity will be given free of cost every month: Congress General Secretary Priyanka Gandhi at a rally in Tezpur, Assam pic.twitter.com/hHUQA9Qfs6
— ANI (@ANI) March 2, 2021
सबसे महत्वपूर्ण बात तो यह है कि जिस तरह पार्टी में जी-23 को लेकर घमासान मचा है, उससे पार्टी को भारी नुकसान होने से रोका नहीं जा सकता।
बढ़ रही है नाराजगी
पिछले दिनों जम्मू में कांग्रेस जी-23 के करीब आधे दर्जन नेताओं की हुई बैठक के बाद से पार्टी में इन वरिष्ठ नेताओं के खिलाफ रोष बढ़ता दिख रहा है। इस मुद्दे को लेकर जम्मू-कश्मीर के प्रदेश अध्यक्ष गुलाम अहमद मीर काफी नाराज हैं और जनरल सेक्रेटरी इन्चार्ज केसी वुणुगोपाल तथा राज्य की इन्चार्ज रजनी पटेल से मुलाकात करनेवाले हैं, वहीं प्रदेश में काग्रेस कार्यकर्ताओं ने गुलाम नबी आजाद के खिलाफ जोरदार नारेबाजी करने के साथ ही उनका पुतला भी जलाया है।
What happened on Feb 27 shouldn't have happened but there was still hope that Azad Sahab was speaking for J&K's people but he quashed all hopes on Feb 28 by praising PM. I'm here for routine meet, haven't spoken to party high command about Azad Sahab yet: JKPCC president in Delhi pic.twitter.com/uIU1hOV7W2
— ANI (@ANI) March 2, 2021
गुलाम नबी आजाद की आलोचना
पार्टी कार्यकर्ताओं ने आरोप लगाया कि कांग्रेस पार्टी ने गुलाम नबी आजाद को काफी सम्मान दिया, लेकिन उन्हें जब पार्टी को समर्थन देना चाहिए तो वे भाजपा के साथ दोस्ती निभा रहे हैं। वे यहां डीडीसी के चुनाव प्रचार में नहीं आए, लेकिन दिल्ली में वे प्रधानमंत्री मोदी की तारीफों के पुल बांध रहे हैं। तमिलनाडु की कांग्रेस सांसद ज्योति मनी के साथ ही कांग्रेस नेता रंजीत रंजन ने भी इसे लेकर गुलाम नबी आजाद की आलोचना की थी।
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जम्मू में हुई थी जी-23 नेताओं की बैठक
बता दें कि हाल ही में जम्मू में भगवा फेटा बांधकर जी-23 के सदस्यों ने परोक्ष रुप से कांग्रेस पर निशाना साधा था। इस कार्यक्रम में परोक्ष रुप से पार्टी के नेतृत्व पर सवाल उठाए गए थे। इसके साथ ही गुलाम नबी आजाद ने पीएम मोदी की तारीफों के पुल भी बांधे थे। उन्होंने कह था कि पीएम बनने के बाद भी मोदी अपनी जड़ों को भूले नहीं हैं। वे आज भी अपने आपको चायवाला कहते हैं।
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भारी पड़ रही है पीएम मोदी की तारीफ
गुलाम नबी आजाद को पीएम की प्रशंसा करना भारी पड़ता दिख रहा है। हाल ही में राज्य सभा से रिटायर हुए आजाद के खिलाफ पार्टी में गतिविधियां तेज होती दिख रही हैं। ऐन चुनाव से पहले पार्टी के अंदर मचे घमासान का असर पार्टी पर स्पष्ट देखा जा सकता है। जहां ये ताकत पांच प्रदेशों में होनेवाले चुनाव के प्रचार-प्रचार में लगनी चाहिए थी, वहीं ये पार्टी को तोड़ने में बर्बाद हो रही है।
पीएम हुए भावुक और बढ़ गई आजाद की परेशानी
बता दें कि गुलाम नबी आजाद के रिटायरमेंट पर राज्यसभा मे पीए मोदी ने उनकी तारीफ की थी और काफी भावुक भी हो गए थे। पीएम मोदी ने आजाद को सैल्यूट किया था। बाद में गुलाम नबी आजाद भी भावुक हो गए थे। ध्यान देनेवाली बात ये भी है कि आजाद जी-23 ग्रुप के वो चेहरा हैं, जिसने संगठनात्मक चुनाव को लेकर मोर्चा खोल चुका है।