उत्तर प्रदेश चुनावः ब्राह्मण मतदाता बनेंगे भाग्य विधाता! जानिये, रिझाने के लिए राजनीतिक पार्टियां कर रही हैं कैसे-कैसे जतन

उत्तर प्रदेश में लगभग 11 प्रतिशत ब्राह्मण मतदाता हैं। दूसरे समुदायों की अपेक्षा भले ही इस समुदाय के लोगों की संख्या कम है, लेकिन राजनीतिक रुप से इस समुदाय का काफी महत्व है।

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उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव को लेकर पारा चढ़ता जा रहा है। इसके साथ ही सभी महत्वपूर्ण पार्टियां जातीय समीकरण साधने के लिए हर तरह के प्रयास कर रही हैं, क्योंकि इसी आधार पर मतदान होंगे और मतगणना के बाद परिणाम में भी इसी समीकरण का प्रभाव दिखेगा।

प्रदेश में वैसे तो सभी जातियों को साधने की कोशिश राजनीतिक पार्टियां कर रही हैं, लेकिन ब्राह्मण समुदाय को इस चुनाव में पार्टियों का भाग्य विधाता माना जा रहा है। इसलिए इस समुदाय के वोट बैंक पर भारतीय जनता पार्टी के साथ ही समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी और कांग्रेस की भी नजर है।

उपेक्षा बर्दाश्त नहीं
एक अनुमान के तहत इस प्रदेश में लगभग 11 प्रतिशत ब्राह्मण मतदाता हैं। दूसरे समुदायों की अपेक्षा भले ही इस समुदाय के लोगों की संख्या कम है, लेकिन राजनीतिक रुप से इस समुदाय का काफी महत्व है और सत्ता की कुर्सी तक पहुंचाने में इसके मतदाताओं की महत्वपूर्ण भूमिका मानी जाती है। यही कारण है कि इस समुदाय के नेता राजनीतिक पार्टियों से अपनी शर्ते मंगवाने में सफल होते हैं और अगर किसी पार्टी में उनकी उपेक्षा होती है तो वे दूसरी पार्टी की ओर रुख कर देते हैं।

जीत-हार तय करता है यह समुदाय
पिछले कुछ वर्षों की यहां की राजनीति पर नजर डालें तो पाते हैं कि ब्राह्मण और दलित समुदाय का झुकाव हमेशा अलग-अलग रहा है, लेकिन 2007 के चुनाव में बसपा से मिले आश्वासन के बाद दोनों एक साथ आ गए, जबकि 2012 में सपा के साथ आ गए। उसके बाद 2017 में भाजपा के साथ हो गए।

भाजपा की रणनीति अधिक सफल
फिलहाल प्रदेश की सभी पार्टियां ब्राह्मण कार्ड खेलकर इस समुदाय को रिझाने की कोशिश कर रही हैं, लेकिन भाजपा की रणनाति इस मामले में अधिक सफल होती दिख रही है। इस समुदाय के मतदाताओं को अपने साथ लाने के लिए पार्टी ने राज्यसभा सदस्य शिवप्रताप शुक्ला के नेतृत्तव में एक कमेटि का गठन किया है। इस कमेटी ने पिछले दिनों पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात की थी और कई सुझाव भी दिए थे। बताया जा रहा है कि भाजपा ने उन सुझावों पर अमल करना शुरू कर दिया है।

सपा और बसपा भी डाल रही हैं डोरे
भाजपा के साथ ही बसपा और सपा भी ब्राह्मण समुदाय को खुश करने की कोशिश कर रही हैं। सपा ने पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे के किनारे भगवान परशुराम की प्रतिमा स्थापित की है तो मायावती ने आश्वासन दिया है कि सत्ता में आने के बाद वे भगवान परशुराम की प्रतिमा स्थाापित करेंगी। इसके साथ ही अस्पताल और पार्क का भी नामकरण उनके नाम पर करेंगी।

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