कोरोना से जंग होगी और तेज! भारत को बहुत जल्द मिलेगा चौथा हथियार

सिप्ला ने आवेदन कर मॉडर्ना टीके के आयात की अनुमति मांगी थी। आवेदन में इस दवा निर्माता कंपनी ने 15 अप्रैल और 1 जून के डीसीजीआई के नोटिस का हवाला दिया था।

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कोरोना वायरस से भारत की लड़ाई और तेज होती दिख रही है। हर मोर्चे पर कोरोना को मात देने की रणनीति बना रहे भारत को अब बहुत जल्द इस लड़ाई के लिए एक और नया हथियार मिलने जा रहा है। ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया यानी डीसीजीआई ने 29 जून को सिप्ला को भारत में सीमित इमरजेंसी इस्तेमाल के लिए कोरोना रोधी वैक्सीन मॉडर्ना को आयात की मंजूरी दे दी है। सिप्ला ने 28 जून को ही इसके लिए डीसीजीआई से इजाजत मांगी थी।

सिप्ला ने मांगी थी अनुमति
सिप्ला ने आवेदन कर इस टीके के आयात की अनुमति मांगी थी। आवेदन में इस दवा निर्माता कंपनी ने 15 अप्रैल और 1 जून के डीसीजीआई के नोटिस का हवाला दिया था। नोटिस में कुछ शर्तों के साथ सिप्ला को इसके आयात की मंजूरी देने की बात कही गई थी। सिप्ला ने इस बीच वे सभी शर्तें पूरी कर ली हैं। बताया जा रहा है कि सिप्ला को मॉडर्ना की हर खेप की केंद्रीय औषधि प्रयोगशाला, कसैली में जांच कराने से भी छूट मिल सकती है।

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पहले से तीन वैक्सीन उपलब्ध
बता दें कि इससे पहले भारत ने रशियन वैक्सीन स्पूतनिक वी को इमरजेंसी इस्तेमाल की मंजूरी दी थी। अगर मॉडर्ना को भी इसमें शामिल कर लिया जाए तो देश में चार टीके हो गए हैं, जिनके इमरजेंसी इस्तेमाल की मंजूरी मिल चुकी है। इनमें से दो कोविशील्ड और कोवैक्सीन भारतीय वैक्सीन हैं। मॉडर्ना विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा मान्यता प्राप्त वैक्सीन है। डब्ल्यूएचओ का कहना है कि इस टीके की पहली डोज लेने के बाद कोरोना संक्रमण का खतरा 14 दिन बाद 94.1 प्रतिशत कम हो जाता है।

आगे की राह

  • वैक्सीन को भारत में उपलब्ध होने में अभी लगेगा समय
  • मॉडर्ना टीके का ट्रायल भारत में नहीं हुआ
  • सबसे पहले 100 लोगों पर इस टीके का करना होगा ट्रायल
  • अगर सब कुछ ठीक रहा तो आम जनता को उपलब्ध कराई जाएगी मॉडर्ना

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