चुनाव आयोग का बड़ा निर्णय, जम्मू कश्मीर में रहनेवाले सभी कर सकेंगे मतदान!

जम्मू कश्मीर में राजनीतिक गतिविधियां सामान्य पथ पर लाने की सुगबुगाहट है। चुनाव आयोग ने इसी कड़ी में आगे कदम बढ़ाया है।

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जम्मू कश्मीर में रहनेवाले अन्य राज्यों के लोगों और पीढ़ियों से रहनेवाले लेकिन मतदान से वंचित लोगों के अधिकार को लेकर बड़ा निर्णय हुआ है। इससे राज्य की मतदाता सूची में लगभग 20-25 लाख के बीच नए मतदाता जुड़ेंगे। इस कदम का इक्कजुट्ट जम्मू ने स्वागत किया है, लेकिन, 2011 की जनगणना के आधार पर किये गए परिसीमन पर सवाल खड़े किये हैं। जबकि महबूबा मुफ्ती और नेशनल कॉन्फ्रेन्स ने आपत्ति व्यक्त की है।

जम्मू कश्मीर के मुख्य चुनाव अधिकारी हिर्देश कुमार ने घोषणा की है कि, अनुच्छेद 370 की समाप्ति के बाद ऐसे लोग जिनके नाम मतदाता सूची में नहीं हैं, वे अब अपना नाम मतदाता सूची में पंजीकृत करवा सकते हैं और मतदान कर सकते हैं। इसके लिए किसी के स्थाई निवास की आवश्यकता नहीं है।

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परिसीमन में जम्मू के साथ छल
निर्वाचन आयोग के निर्णय का स्वागत इक्कजुट्ट जम्मू के अध्यक्ष अंकुर शर्मा ने किया है। परंतु, उन्होंने इसके साथ ही परिसीमन का मुद्दा भी उठाया है, जिसे वर्ष 2011 की जनगणना के आधार पर किया गया है। इसके आधार पर कश्मीर की विधान सभा सीट बढ़ गई है, जबकि जम्मू की कम है। इसे जम्मू के साथ छलावा कहा जा रहा है। वर्ष 2011 की जनगणना के फर्जी होने की बातें सामने आई थीं, जिसे आधिकारिक मंचों से स्वीकार किया गया था।

महबूबा और अब्दुल्ला ने किया विरोध
महबूबा मुफ्ती ने डोमिसाइल हटने और मतदान का अधिकार सभी को दिये जाने की घोषणा से मातम में हैं। उन्होंने भारतीय जनता पार्टी पर आरोप लगाया है कि, जम्मू कश्मीर उसकी प्रयोगशाला हो गया है। बाहर से 25 लाख मतदाता लाए जा रहे हैं, जो भाजपा के मतदाता हैं। इसके अलावा फारुख अब्दुल्ला की पार्टी नेशनल कॉन्फ्रेन्स के नेता तनवीर सादिक ने कहा है कि, जब दूसरे राज्य के लोग बस सकते हैं और मतदाता के रूप में पंजीकरण करा सकते हैं तो यह स्थानीय लोगों को वंचित किया जाना है।

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