अफगानिस्तान में तालिबान राज की वापसी! भारत के लिए इस तरह खड़ी हो सकती है बड़ी मुसीबत

चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता हुआ चुनयिंग ने कहा कि चीन अफगानिस्तान के लोगों के स्वतंत्रतापूर्वक अपनी किस्मत चुनने के अधिकार का सम्मान करता है और अफगानिस्तान के साथ दोस्ताना तथा सहयोगपूर्ण संबंध विकसित करना चाहता है।

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अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद अधिकांश देश दूतावास को बंद करके अपने नागरिकों और राजनयिकों को सुरक्षित निकालने में जुटे हैं। इस बीच चीन ने आतंकी संगठन की ओर दोस्ती का हाथ बढ़ाने की घोषणा की है।

चीन ने 16 अगस्त को कहा कि वह तालिबान से दोस्ताना संबंध विकसित करना चाहता है। एक दिन पहले ही इस्लामिक कट्टरपंथी समूह ने काबुल पर कब्जा करने के साथ ही अफगानिस्तान पर अधिकार कर लिया था। चीन से पहले रुस और पाकिस्तान भी तालिबान सरकार को मान्यता देने की बात कह चुके हैं।

दोस्ताना संबंध विकसित करने करना चाहता है चीन
चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता हुआ चुनयिंग ने कहा कि चीन अफगानिस्तान के लोगों के स्वतंत्रतापूर्वक अपनी किस्मत चुनने के अधिकार का सम्मान करता है और अफगानिस्तान के साथ दोस्ताना तथा सहयोगपूर्ण संबंध विकसित करना चाहता है।

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रुस का दूतावास छोड़ने से इनकार
इस बीच रुस ने भी अपने दूतावास को खाली करने से इनकार किया है। रुस की ओर से कहा गया है कि तालिबान सरकार को मान्यता दी जा सकती है। विदेश मंत्रालय के अधिकारी जमीर काबुलोव ने कहा कि उनके राजदूत तालिबान नेतृत्व के संपर्क में हैं। काबुलोव ने यह भी कहा कि यदि तालिबान का आचरण ठीक रहता है तो उसे मान्यता दी जा सकती है। अफगानिस्तान में रुस के राजदूत दिमित्री झिरनोव दूतावास की सुरक्षा को लेकर तालिबान के प्रतिनिधियों के साथ बैठक कर सकते हैं।

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