पुरी के जगन्नाथ मंदिर में अतिक्रमण संबंधी याचिका खारिज, सर्वोच्च टिप्पणी करते हुए जुर्माना भी लगाया

याचिकाकर्ताओं के वकीलों ने कहा था कि ओडिशा सरकार जगन्नाथ मंदिर के चारों तरफ अनधिकृत रूप से निर्माण कार्य कराकर अतिक्रमण कर रही है।

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सर्वोच्च न्यायालय ने पुरी के जगन्नाथ मंदिर में कथित अवैध अतिक्रमण और निर्माण के खिलाफ दायर याचिका 3 जून को खारिज कर दी। कोर्ट ने दो याचिकाकर्ताओं पर एक-एक लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया है।

कोर्ट ने कहा कि मंदिर के पास टॉयलेट का निर्माण जनहित में है। इससे श्रद्धालुओं को सहूलियत होगी। इसके खिलाफ जनहित याचिका दाखिल नहीं होनी चाहिए। 2 जून को जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस सीमा कोहली की अध्यक्षता वाली बेंच ने सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था।

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याचिकाकर्ताओं के वकीलों ने कहा था कि ओडिशा सरकार जगन्नाथ मंदिर के चारों तरफ अनधिकृत रूप से निर्माण कार्य कराकर अतिक्रमण कर रही है। ओडिशा सरकार ने एंशियंट मॉनुमेंट्स एंड आर्कियोलॉजिकल साइट्स एंड रिमेंस एक्ट की धारा 20 का उल्लंघन किया है। इस कानून के तहत 100 मीटर के दायरे में कोई निर्माण कार्य नहीं किया जा सकता है।

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