Disqualification of MLAs: सर्वोच्च ​न्यायालय ने महाराष्ट्र विधानसभा स्पीकर को दिया आखिरी मौका, जानिए अब तक क्या हुआ?

सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष से 30 अक्टूबर तक यह बताने को कहा है कि वह विधायकों की अयोग्यता पर कब फैसला लेंगे।

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विधायकों (MLAs) की अयोग्यता (Disqualification) के मामले में फैसला लेने की समयावधि बताने के लिए सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने महाराष्ट्र विधानसभा (Maharashtra Assembly) के स्पीकर को आखिरी मौका दिया। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ (Chief Justice DY Chandrachud) की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि स्पीकर 30 अक्टूबर तक बताएं कि विधायकों की अयोग्यता के मामले में कब तक फैसला लेंगे।

सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता के अनुरोध पर कोर्ट ने स्पीकर को एक बार और मौका दिया है। आज स्पीकर की तरफ से कोई टाइम लाइन नहीं दी गयी। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने नाराजगी जताई थी। इसके पहले 13 अक्टूबर को कोर्ट ने विधायकों की अयोग्यता पर फैसले लेने में महाराष्ट्र विधानसभा स्पीकर की तरफ से हो रही देर पर नाराजगी जाहिर की थी। कोर्ट ने कहा था कि स्पीकर यूं ही अनिश्चित काल तक अपने फैसले को नहीं टाल सकते। कम से कम अगले चुनाव तक फैसला लें।

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अगर स्पीकर समय सीमा नहीं बताते है तो कोर्ट आदेश पास करेगा
चीफ जस्टिस ने कहा था कि कोर्ट के आदेश के बावजूद स्पीकर कोई कार्रवाई नहीं कर रहे है। कोर्ट के आदेश का सम्मान किया जाना चाहिए। चीफ जस्टिस ने कहा कि स्पीकर 17 अक्टूबर को समय सीमा बताएं कि कब तक वो फैसला ले लेंगे। अगर स्पीकर समय सीमा नहीं बताते है तो कोर्ट आदेश पास करेगा। फिर कोर्ट उनके फैसला लेने की समय सीमा तय करेगा। 9 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र विधानसभा में विधायकों की अयोग्यता मामले में एनसीपी नेता जयंत पाटिल की याचिका पर सुनवाई करते हुए महाराष्ट्र विधानसभा के स्पीकर को नोटिस जारी किया था। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को शिवसेना के उद्धव ठाकरे की याचिका के साथ टैग करने का आदेश दिया था।

स्पीकर ने विधायकों को पूछताछ के लिए नहीं बुलाया
एनसीपी विधायक जयंत पाटिल ने विधानसभा के स्पीकर की ओर से अयोग्यता के मामले को जान बूझ कर लटकाए रखने का आरोप लगाते हुए सुप्रीम कोर्ट मे याचिका दाखिल की है। जयंत पाटिल ने अपनी अर्जी में कहा है कि दो महीने से ज्यादा हो गए हैं लेकिन अब तक स्पीकर ने विधायकों को नोटिस देकर पूछताछ के लिए तलब भी नहीं किया है। पाटिल की अर्जी के मुताबिक विधायकों के अयोग्यता की अर्जी 2 जुलाई को दाखिल की गई थी। रिमाइंडर 5 सितंबर और प्रतिवेदन 7 सितंबर को दिया गया था। याचिका में कहा गया है कि याचिकाकर्ता ने स्पीकर से व्यक्तिगत तौर पर मुलाकात कर मामले पर शीघ्र निर्णय करने का आग्रह किया था। इसके बावजूद अभी तक कुछ नहीं हुआ।

आवेदन पर कोई कार्रवाई नहीं
पाटिल ने अपनी याचिका में निर्वाचन आयोग में चल रहे मामले का भी जिक्र करते हुए कहा कि बागी विधायकों ने आयोग में अर्जी लगाई है जिस पर नोटिस जारी हो चुका है। उधर, विधानसभा में स्पीकर ने शरद पवार गुट की ओर से नौ जुलाई को दी गई अर्जी पर भी कोई कार्यवाही नहीं की, जिसमें अनुशासनहीनता के आरोपी विधायकों की अयोग्यता पर शीघ्र निर्णय लेने की बात कही गई है। शिवसेना के विधायकों की अयोग्यता के मामले में हो रही देरी के खिलाफ उद्धव गुट ने भी सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है।

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