शीना बोरा हत्या मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने इस केस की मुख्य आरोपी इंद्राणी मुखर्जी को जमानत दे दी है। 18 मई को सर्वोच्च न्यायालय ने ये फैसला सुनाया। सुनवाई के दौरान इंद्राणी की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी न्यायालय में पेश हुए।
रोहतगी ने बताया कि इंद्राणी धारा 437 के तहत विशेष छूट की अधिकारी है। वह पिछले छह साल से जेल में है। इसके साथ ही इस मामले की सुनवाई पिछले 11 महीनों से आगे नहीं बढ़ी है। इस आधार पर सर्वोच्च न्यायालय ने उसकी रिहाई का आदेश दिया है।
रोहतगी ने दी दलील
रोहतगी ने कहा कि 237 में से 68 गवाहों की जांच की गई है, लेकिन इंद्राणी को पिछले कई साल से परोल नहीं दी गई। जब न्यायालय ने यह पूछा कि उन्हें परोल क्यों नहीं दी गई तो रोहतगी ने कहा कि उन्होंने परोल नहीं ली। हालांकि उनके पति पीटर मुखर्जी को जमानत मिल चुकी है।
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पहले क्या हुआः
इंद्राणी मुखर्जी वर्ष 2015 में गिरफ्तारी हुई थी। फिलहाल वह मुंबई की भायखला महिला जेल में बंद है। इससे पहले सीबीआई के विशेष न्यायालय ने कई बार इंद्राणी को जमानत देने से मना किया था।
-इससे पहले इंद्राणी मुखर्जी ने कहा था कि सीबीआई मामले की जांच में खामियों को छिपाने के लिए उसके इस दावे की जांच नहीं कर रही है कि शीना बोरा जिंदा है।
-इद्राणी ने सीबीआई के विशेष न्यायालय में आठ पन्नों का एक पत्र पेश किया था कि शीना बोरा जिंदा है। उसने सीबीआई से यह निर्देश देने का अनुरोध किया था कि वह इस दावे की जांच करे।
-इस पर सीबीआई ने एक लिखित जवाब में उसके दावे को गलत ठहराया था। उसने लिखा था कि इंद्राणी का दावा एक कोरी कल्पना है और यह असंभव है। एजेंसी ने कहा था कि इंद्राणी का दावा गलत है और यह अर्जी मामले की सुनवाई में देरी करने के इरादे से दायर की गई है।
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