51 साल बाद चांद ने किया ऐसे खुश

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51 साल पहले अमेरिकी एजेंसी नासा ने अपोलो-11 मिशन के तहत पहली बार किसी इंसान को चांद पर भेजा था। अपोलो-11 अंतरिक्ष यान को 20 जुलाई 1969 में अमेरिकी के कैनेडी स्पेस सेंटर से लॉन्च किया गया था । इसे लान्च कांपलेक्स 39 ओ से सुबह 8.32 बजे लॉनच किया गया था। उसके करीब 51 साल बाद चांद पर पानी मिलने से इंसान को वहां बस्ती बसाने का सपना पूरा होता दिख रहा है। हजारों वर्षों से आम इंसान के साथ ही वैज्ञानिकों के लिए चांद एक कौतूहल का विषय रहा है। लेकिन धीरे-धीरे सच्चाई अब सामने आने लगी है। अब चांद की सतह पर पानी की मौजूदगी को लेकर नई जानकारी सामने आई है। अमेरिकी अंतरिक्ष नासा( NASA)ने चांद की सतह पर पानी की खोज की है।

इस सतह पर सीधे पड़ता है सूरज का प्रकाश
इस सतह पर सूरज का प्रकास सीधे पड़ता है। इस खोज में पूर्व के अनुमान से ज्यादा पानी होने की संभावना जताई जा रही है। सतह के कोने और चट्टानों में जमा हुआ पानी होने के सबूत मिलने से विश्व भर के वैज्ञानिक काफी उत्साहित हैं औरइसे भविष्य में चांद पर बस्तियां बसाने की दिशा में एक कदम मानकर चल रहे हैं। नासा के हेड ऑफिस में विज्ञान मिशन निदेशालय में एसट्राफिजिक्स डिवीजन के निदेशक पॉल हर्टज ने कहा कि हमारे पास पहले से संकेत थे कि एचटूओ,जिसे हम पानी के रुप में जानते हैं, वह चांद की सतह पर मौजूद हो सकता है। इससे हमें और गहन अंतरिक्ष खोज की प्रेरणा मिली है।

अणु के रुप में है पानी
नेचर एस्ट्रोनॉमी के ताजा अंक में प्रकाशित अध्ययन की रिपोर्ट के मुताबिक,इस स्थान के डाटा से 100 से 412 पार्ट प्रति मिलियन की सांद्रता में पानी की जानकारी मिली है। तुलनात्मक रुप में सोफिया ने चंद्रमा की सतह पर जितनी पानी की खज की है, उसकी मात्रा अफ्रीका के सहारा रेगिस्तान में मौजूद पानी की तुलना में 100 गुना कम है। जिस पानी का पता चला है, वह बर्फ के रुप में नहीं, बल्कि अणु के रुप में है। ये अणु एक दूसरे से इतनी दूर हैं कि बर्फ या द्रव अवस्था नहीं आ पाता है।
अरबों वर्ष तक जमा रह सकता है पानी
चांद के ठंडे हिस्से को केंद्र में रखा गया है। इस हिस्से पर तापनान शून्य से 163 डिग्री सेल्सियस तक नीचे है। इस तापमान में पानी अरबों साल तक जमा हुआ रह सकता है। यूनिवर्सिटी ऑफ कोलोरैडी के पॉल हेन ने कहा कि चांद पर 40 हजार वर्ग किलोमीटर से ज्यादा क्षेत्र में बर्फ के रुप में पानी होने की संभावना है। हालांकि चांद पर पानी का होना अभी भी रहस्य है।

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