महाराष्ट्र के इस गांव का केला निर्यात में परचम

महाराष्ट्र का खानदेश केला उत्पादन में विशेष स्थान रखता है। भुसावल-जलगांव-चालीसगांव का बेल्ट वर्षों से केला उत्पादक के रूप में प्रख्यात है।

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राज्य के केला उत्पादक बेल्ट जलगांव के किसानों ने एक कीर्ति पाप्त की है। इस गांव से भौगोलिक संकेत (जीआई) प्रमाणित केले का निर्यात कर रहा है। इसकी खेप दुबई को भी निर्यात की गई है।

जलगांव के केले को फाइबर और मिनरल से समृद्ध माना जाता है। यहां के तंदलवाड़ी गांव के किसानों ने 22 मीट्रिक टन जीआई प्रमाणित केले निर्यात किए हैं। यह कृषि निर्यात नीति के अंतर्गत केला उत्पादन के प्रमुख क्षेत्र में निर्दिष्ट है।

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अंतरराष्ट्रीय मानकों पर खरा उतरा
वर्ष 2016 में, जलगांव केले को जीआई प्रमाणीकरण मिला जो निसारगर्जा कृषि विज्ञान केंद्र (केवीके) जलगांव में पंजीकृत था। वैश्विक मानकों के अनुरूप कृषि पद्धतियों को अपनाने के कारण भारत का केला निर्यात तेजी से बढ़ रहा है।

निरंतर हो रही बढ़ोतरी
भारत का केले का निर्यात मात्रा और मूल्य दोनों के लिहाज से बढ़ा है।
Ο2018-19 में 1.34 लाख मीट्रिक टन केले का निर्यात हुआ था, जिसकी कीमत 413 करोड़ रुपये थी।
Ο2019-20 में निर्यात बढ़कर 1.95 लाख मीट्रिक टन हो गया, जिसकी कीमत 660 करोड़ रुपए थी।
Ο2020-21 (अप्रैल 2020-फरवरी 2021) में,भारत ने 619 करोड़ रुपये मूल्य के 1.91 लाख टन मूल्य के केले का     निर्यात किया।

केला उत्पादन में अग्रणी
विश्व के कुल केला उपज में भारत का हिस्सा लगभग 25% का है, जिसके कारण भारत केले का सबसे बड़ा उत्पादक है। आंध्र प्रदेश, गुजरात, तमिलनाडु, महाराष्ट्र, केरल, उत्तर प्रदेश, बिहार और मध्य प्रदेश देश के केले के उत्पादन में 70% से अधिक का योगदान करते हैं।

 

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