President ने मानवता के लिए प्रेम और करुणा को बताया जरूरी, धार्मिकता को लेकर कही यह बात

धर्म हमारे जीवन में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है। धार्मिक मान्यताएं और प्रथाएं हमें विपरीत परिस्थितियों में राहत, आशा और शक्ति प्रदान करती हैं। प्रार्थना, ध्यान और अनुष्ठान मनुष्य को आंतरिक शांति और भावनात्मक स्थिरता का अनुभव करने में मदद करते हैं लेकिन शांति, प्रेम, पवित्रता और सच्चाई जैसे मौलिक आध्यात्मिक मूल्य ही हमारे जीवन को सार्थक बनाते हैं।

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फाइल चित्र

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू (Draupadi Murmu) ने 25 अक्टूबर को राष्ट्रपति भवन में ब्रह्माकुमारी संस्था (Brahmakumari organization) द्वारा आयोजित अंतर्धार्मिक बैठक में कहा कि प्रेम (Love) और करुणा के बिना मानवता (humanity) जीवित नहीं रह सकती। राष्ट्रपति (President) ने कहा कि जब विभिन्न धर्मों के लोग एक साथ मिल-जुलकर रहते हैं तो समाज और देश का सामाजिक ताना-बाना मजबूत होता है। यही ताकत देश की एकता को और मजबूत करती है और प्रगति के पथ पर ले जाती है। उन्होंने कहा कि हमारा लक्ष्य 2047 तक भारत को एक विकसित देश के रूप में स्थापित करना है, इस लक्ष्य को हासिल करने में सभी का सहयोग आवश्यक होगा।

शक्ति प्रदान करती हैं धार्मिक मान्यताएं
इस अवसर पर राष्ट्रपति ने कहा कि धर्म हमारे जीवन में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है। धार्मिक मान्यताएं और प्रथाएं हमें विपरीत परिस्थितियों में राहत, आशा और शक्ति प्रदान करती हैं। प्रार्थना, ध्यान और अनुष्ठान मनुष्य को आंतरिक शांति और भावनात्मक स्थिरता का अनुभव करने में मदद करते हैं लेकिन शांति, प्रेम, पवित्रता और सच्चाई जैसे मौलिक आध्यात्मिक मूल्य ही हमारे जीवन को सार्थक बनाते हैं। इन मूल्यों से रहित धार्मिक प्रथाएं हमारा कल्याण नहीं कर सकती हैं। समाज में शांति और सद्भाव को बढ़ावा देने के लिए सहिष्णुता, एक-दूसरे के प्रति सम्मान और सौहार्द्र के महत्व को समझना आवश्यक है।

राष्ट्रपति ने कहा कि प्रत्येक मानव आत्मा स्नेह और सम्मान की पात्र है। स्वयं को पहचानना, अपने मूल आध्यात्मिक गुणों के अनुसार जीवन जीना और ईश्वर के साथ आध्यात्मिक संबंध रखना ही सांप्रदायिक सद्भाव और भावनात्मक एकीकरण का सहज साधन है।

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