अबकी बार गद्दारों पर प्रहार, बिट्टा की बीवी और सलाहुद्दीन के बेटे की गई सरकारी नौकरी

आतंक को लेकर जीरो टॉलरेन्स नीति पर सरकार कार्य कर रही है। इसके अंतर्गत सरकार के पैसों पर पल रहे आतंकियों की छुट्टी हो गई है।

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जम्मू-कश्मीर सरकार ने चार कर्मचारियों को देश विरोधी गतिविधियों में शामिल होने के आरोप में बर्खास्त करने का आदेश दिया है। इन कर्मचारियों की गतिविधियों पर खुफिया एजेंसियों की नजर थी। सरकार द्वारा गठित की गई समिति ने सभी तथ्यों की जांच तथा कई संदिग्ध दस्तावेजों की बरामदगी के बाद निन्मलिखित लोगों को सेवा से बर्खास्त कर दिया गया हैय़

  • सैयद अब्दुल मुईद प्रबंधक आईटी, जेकेईडीआई पुत्र सैयद मोहम्मद यूसुफ
  • असबाह-उल-अर्जमंद खान जेकेएएस डीपीओ, प्रचार, ग्रामीण विकास निदेशालय, कश्मीर पत्नी फारूक अहमद डार (उर्फ बिट्टा कराटे)
  • डॉ.मुहीत अहमद भट, वैज्ञानिक-डी, कंप्यूटर विज्ञान के स्नातकोत्तर विभाग, कश्मीर विश्वविद्यालय पुत्र गुलाम रसूल भट
  • माजिद हुसैन कादरी वरिष्ठ सहायक प्रोफेसर प्रबंधन अध्ययन विभाग कश्मीर विश्वविद्यालय पुत्र खुर्शीद अहमद कादरी

ये है आरोप
जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंट के बिट्टा कराटे की बीवी भी आउट
असबाह-उल-अर्जमंद खान को पासपोर्ट मांगने के लिए झूठी सूचना प्रदान करने में शामिल पाया गया है। उसके विदेशी लोगों के साथ संबंध पाए गए हैं जिन्हें, आईएसआई के पैरोल पर होने के लिए भारतीय सुरक्षा और खुफिया द्वारा अनुक्रमित किया गया है। जम्मू और कश्मीर में भारत विरोधी गतिविधियों के वित्तपोषण के लिए धन की खेप लाने में उसकी संलिप्तता भी बताई गई है।

हिजबुल के चीफ आतंकी सैयद सलाहुद्दीन का बेटा भी बर्खास्त
सैयद अब्दुल मुईद प्रबंधक आईटी, जेकेईडीआई को पंपोर के सेम्पोरा में जेकेईडीआई परिसर पर तीन आतंकवादी हमलों में भूमिका निभाते हुए पाया गया है और संस्थान में उनकी उपस्थिति ने अलगाववादी ताकतों के साथ सहानुभूति बढ़ा दी है।

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पढ़ाता था आतंकी पाठ
डॉ.मुहीत अहमद भट को पाकिस्तान और उसके प्रतिनिधियों के कार्यक्रम और एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए छात्रों को कट्टरपंथी बनाकर कश्मीर विश्वविद्यालय में अलगाववादी-आतंकवादी एजेंडे के प्रचार में शामिल पाया गया है।

कश्मीर विश्वविद्यालय के वरिष्ठ सहायक प्रोफेसर माजिद हुसैन कादरी का लश्कर-ए-तैयबा समेत आतंकी संगठनों से पुराना संबंध है। उस पर पहले सार्वजनिक सुरक्षा अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया गया था और आतंकवाद से संबंधित विभिन्न मामलों से संबंधित धारा 302, 307, और 427, 7/27 आरपीसी के तहत कई प्राथमिकी दर्ज की गई हैं।

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