कश्मीर में देश द्रोहियों पर प्रहार… हिजबुल चीफ के कपूत भी नपे

जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 और 35ए की समाप्ति के बाद कई बड़े बदलाव केंद्र शासित प्रदेश में किये गये हैं। जिससे आतंकी गतिविधियों और देश विरोधी मानसिकता को समाप्त किया जा सके।

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जम्मू कश्मीर में उपराज्यपाल शासनकाल में देश द्रोह में संलिप्त 11 सरकारी कर्मचारियों को सेवामुक्त कर दिया गया है। इन पर संविधान के अनुच्छेद 311(2)(सी) के अंतर्गत कार्रवाई की गई है। इन लोगों में हिजबुल मुजाहिद्दीन के आतंकी के दो बेटे भी शामिल हैं।

जम्मू कश्मीर प्रशासन पर लंबे समय से आरोप लगता रहा है कि देश विरोधी ताकतें उसके अंदर मौजूद हैं। जो अपने पूरे सामर्थ्य का उपयोग भारत विरोधी गतिविधियों में करती हैं। इसका बड़ा उदाहरण है हिजबुल मुजाहिद्दीन के चीफ सैयद सलाहुद्दीन के दो बेटे। जिन पर टेरर फंडिंग का आरोप लगता रहा है वे भी राज्य सरकार के कर्मचारी थे।

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कमेटी ने लिया था निर्णय
जम्मू कश्मीर सरकार द्वारा एक कमेटी का गठन किया गया था। जो आतंकी गतिविधियों में संलिप्त सरकारी कर्मचारियों के प्रकरणों की जांच कर रही थी। इस कमेटी ने अपनी दूसरी बैठक में तीन और चौथी बैठक में आठ सरकारी कर्मियों को सेवा मुक्त करने का निर्णय दिया था।

ये थे नमक हराम

दूसरी बैठक में कमेटी ने तीन लोगों को बर्खास्त करने का आदेश दिया था।

उनमें से एक कुपवाड़ा आईटीआई का ऑर्डरली था जो लैश्कर ए तैयबा के लिए कार्य कर रहा था। वह सुरक्षा कर्मियों की मूवमेन्ट की जानकारी आतंकियों को उपलब्ध कराता था और आतंकियों को शरण भी देता था।
 इसके अलावा दो शिक्षकों पर भी कार्रवाई हुई है। दोनों ही अनंतनाग के हैं। ये जमात ए इस्लामी और दुख्तरन ए मिल्लत की विचारधारा से प्रेरित थे और उसका प्रचार, प्रसार कर रहे थे।

 तीसरी बैठक में 8 लोगों को बर्खास्त करने की शिफारिस कमेटी ने की थी।

इसमें जम्मू कश्मीर पुलिस के दो कांस्टेबल भी हैं। ये पुलिस विभाग में आतंकवाद को बढ़ावा दे रहे थे। इसके अलावा आतंकियों को गुप्त जानकारियां, लॉजिस्टिक सपोर्ट उपलब्ध करा रहे थे। इसमें से एक कांस्टेबल अब्दुल शिगन ने खुद सुरक्षा बलों पर आतंकवादी हमला किया था।
इसके साथ दो नाम हिजबुल मुजाहिद्दीन के मुखिया सैयद सलाहुद्दीन के बेटों के भी हैं। जिन पर टेरर फंडिंग का आरोप है। इसके लिए नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी ने कार्रवाई भी की थी। इनके नाम सैयद अमहद शकील और शाहिद युसुफ है। हवाला रैकेट के माध्यम से ये आतंकी गतिविधियों के लिए धन मुहैया करा रहे थे।
 इसके अलावा नाज मोहम्मद अलाइ नामक स्वास्थ्य विभाग का एक ऑर्डर्ली हिजबुल मुजाहिद्दीन के लिए कार्य कर रहा था। उसके घर से दो आतंकी भी पाए गए थे। वह आतंकी गतिविधियों की पृष्ठभूमि से है।
जब्बार अहमद पारे और निसार अहमद तंत्रे नामक शिक्षा विभाग के दो कर्मचारी पाकिस्तान और जमात ए इस्लामी के अलगाववादी विचारों को प्रसारित करते थे। उनकी सेवाओं को समाप्त कर दिया गया है।
हिजबुल मुजाहिद्दीन के लिए हथियार पहुंचानेवाले शाहीन अहमद लोन नामक ऊर्जा विभाग के निरिक्षक को भी सेवा से बर्खास्त कर दिया गया है। उसे पिछले वर्ष जनवरी में आतंकियों के साथ हाइवे पर पकड़ा गया था।

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इन जिलों के हैं कर्मचारी
11 बर्खास्त कर्मचारियों में से 4 अनंतनाग, 3 बडगाम, 1 बारामुला, 1 श्रीनगर, 1 पुलवामा, 1 कुपवाड़ा से हैं।
जिसमें से 4 शिक्षा विभाग से हैं, 2 जम्मू कश्मीर पुलिस, एक कृषि विभाग, एक स्किल डेवलेपमेन्ट, एक ऊर्जा, एक स्किम्स और एक स्वास्थ्य विभाग से है।

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