विश्व अनुवाद दिवस 2021: जानें, इतिहास, महत्व और विषय-वस्तु

अनुवाद की प्रक्रिया सदियों पुरानी है। भारत में ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद और अथर्ववेद मूल रूप से संस्कृत में लिखे गए हैं। बाद में इनका हिंदी में अनुवाद किया गया।

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अंतर्राष्ट्रीय अनुवाद दिवस हर साल 30 सितंबर को मनाया जाता है। विश्व अनुवाद दिवस बाइबिल अनुवादक सेंट जेरोम की याद में मनाया जाता है। आज हर किसी को हर भाषा का ज्ञान नहीं है। लेकिन आधुनिक समय में किसी भी भाषा को अनुवाद के माध्यम से आसानी से समझा जा सकता है। आइए जानें विश्व अनुवाद दिवस का इतिहास, महत्व और थीम।

विश्व अनुवाद दिवस का इतिहास
बाइबिल के अनुवादक और अनुवाद के जनक संत जेरोम की याद में हर साल 30 सितंबर को विश्व अनुवाद दिवस मनाया जाता है। यह 1953 में इंटरनेशनल फेडरेशन ऑफ ट्रांसलेटर्स की स्थापना के बाद से मनाया जा रहा है। वैश्वीकरण के इस युग में इंटरनेशनल फेडरेशन फॉर ट्रांसलेटर्स ने लोगों को जागरुक बनाने के लिए 1991 में विश्व स्तर पर इस दिन को मनाना शुरू किया।

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विश्व अनुवाद दिवस का महत्व
अनुवाद की प्रक्रिया सदियों पुरानी है। भारत में ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद और अथर्ववेद मूल रूप से संस्कृत में लिखे गए हैं। बाद में इनका हिंदी में अनुवाद किया गया। भारत में ब्रिटिश शासन के बाद से धार्मिक ग्रंथों का अंग्रेजी में भी अनुवाद किया जाने लगा।

विश्व अनुवाद दिवस 2021 की थीम
हर साल विश्व अनुवाद दिवस के अवसर पर एक थीम रखी जाती है। इससे जन जागरूकता बढ़ती है। इस वर्ष के अंतर्राष्ट्रीय अनुवाद दिवस 2021 का थीम “अनुवाद और स्वदेशी भाषाएं” है।

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