भारत के लिए 2021 कई अच्छी खबरें भी लाया है। इस साल की 1 जनववरी से संयुक्त राष्ट्र की सुरक्षा परिषद में भारत का अस्थाई सदस्य के रुप में कार्यकाल शुरू हो गया है। भारत का यह आठवां कार्याकाल है। ये दो साल के कार्यकाल भारत के लिए मौके के तौर पर है। इसके बाद भारत का परिषद के स्थाई सदस्यता के लिए रास्ता प्रशस्त हो सकता है। इसके लिए भारत का दशकों से प्रयास जारी है।
महाशक्ति बनने की दिशा मे एक कदम
स्थाई सदस्य के तौर पर अपने कार्यकाल के दौरान भारत अंतर्ऱाष्ट्रीय स्तर पर मानवाधिकारों और विकास जैसे बुनियादी मूल्यों को बढ़ावा देगा और बहुपक्षवाद पर जोर देगा। यूएनएससी में पांच स्थाई सदस्य हैं, जबकि अस्थाई सदस्यों की संख्या 10 है। भारत दुनिया में महाशक्ति के रुप में उभरता हुआ देश है। इसके लिए इसे हर स्तर पर अपनी ताकत बढ़ानी होगी। यूएनएससी में भी भारत को अपना सिक्का जमाने का यह सुनहरा अवसर होगा। इसके लिए अपनी योग्यता और नेतृत्व का लोहा दुनिया को मनवाना जरुरी है। इसके लिए भारत को अपनी विदेश और घरलू नीती में सकारात्मक बदलाव लाकर नेतृत्व करने की क्षमता को साबित करना होगा।
France welcomes India as it joins UNSC for next 2 yrs. We are eager to work side by side to uphold international law, fight terrorism & defend multilateralism. To this end, we also need a UNSC reform that gives India a permanent seat!: French Ambassador to India, Emmanuel Lenain pic.twitter.com/mEGWIozTxF
— ANI (@ANI) January 1, 2021
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भारत की भूमिका महत्वपूर्ण
महामारी और जलवायु परविर्तन की दोहरी तबाही ने वैश्विक सहयोग पर काफी असर डाला है। दुनिया में जरुरी नियमों के लिए एक अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था की जरुरत है, इसके लिए भारत को अग्रणी भूमिका निभाते हुए विश्व पर अपना सकारात्मक प्रभाव डालना है। ये ऐसे नियम और व्यवस्था हो सकते हैं, जो दुनिया भर के इंसानों के लिए जरुरी हैं। विश्व के सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश होने के नाते एनएससीएस में भारत की भूमिका ज्यादा महत्वपूर्ण हो सकती है।
चीन की मनमानी पर लग सकती है रोक
पूरी एशिया में भारत ही एकमात्र ऐसा देश है, जो चीन की विस्तारवादी नीति पर लगाम लगा सकता है। इस मंच पर भी भारत के लिए प्रतिद्वंदी चीन परेशानी खड़ी करेगा। उसकी इच्छा के विरुद्ध और तमाम तरह की अड़चनें डालने के बावजूद भारत का यूएनएससी का अस्थाई सदस्य बनना एक ऐतिहासिक घटना है, लेकिन पहले से भारत से चीढ़ा हुआ चीन कभी भारत के लिए सकाकरात्मक सोच नहीं रख सकता। इस हालत में भारत को सोच-समझकर और दूसरे देशों के साथ कुटनीतिक और राजनैतिक संबंध स्थापित कर ड्रैगन की कोशिशों को नाकाम करना होगा।
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ये मुद्दे हैं महत्वपूर्ण
भारत के लिए म्यांमार में जारी मानवीय संकट, ईरान परमाणु समझौता, कोरोना महामारी और जलवायु परिवर्तन के खतरे जैसे मुद्दों पर अपना पक्ष रखने का यह दो साल सुनहरा मौका होगा। दुर्भाग्य से, अतीत में, भारत अंतर्राष्ट्रीय समुदाय में एक निष्क्रिय आवाज रहा है।
पाकिस्तान का असली चेहरा होगा उजागर
भारत के इस कार्यकाल से सबसे अधिक तनाव में पाकिस्तान आ गया है। भविष्य में भी उसका टेंशन बढ़नेवाला है। आतंकवाद के मुद्दे पर जिस तरह भारत का आक्रामक रुख रहा है, उससे पाकिस्तान जरुर तनाव में होगा। संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थाई प्रतिनिधि राजदूत टीएस त्रिमूर्ति ने भी इसके संदेश दिए हैं। बता दें कि यूएनएससी के भारत के सदस्य के तौर पर कार्यकाल में आतंकवाद, रक्षा, समुद्री सुरक्षा और बहुपक्षवाद सुधार, प्रोद्यौगिकी, महिलाओं और युवाओं के कल्याण जैसे विषयअहम होंगे।
यो देश हैं शामिल
भारत, नार्वे, केन्या, आयरलैंड और मैकस्किो इस कार्यकाल में नये अस्थाई सदस्य के रुप में शामिल हुए हैं। एनएसयूसी के स्थाई सदस्यों में अमेरिका, फ्रांस, रुस, ब्रिटेन और चीन शामिल हैं।