औलाद ने बेसहारा छोड़ा!

कोरोना पॉजिटिव पाए गए दो वरिष्ठ नागरिकों को राज्य के इडुक्की जिले में अलग-अलग घटनाओं में घर से बाहर छोड़ दिया गया।

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कोरोना काल में मानवता को शर्मसार करनेवाली दर्जनों घटनाएं सुर्खियों में रहीं। ऐसी ही दिल को झकझोर देनेवाली दो घटनाएं केरल में घटी हैं। कोरोना पॉजिटिव पाए गए दो वरिष्ठ नागरिकों को राज्य के इडुक्की जिले में अलग-अलग घटनाओं में घर से बाहर छोड़ दिया गया।

पहली घटना
एक 78 वर्षीय बुजुर्ग के परिवार के सदस्यों ने कोरोना पॉजिटिव पाए जाने पर उन्हें घर ले जाने से मना कर दिया। हालांकि वो संक्रमण से रिकवर हो गए हैं। उन्हें इलाज के लिए करुणा अस्पताल में भर्ती कराया गया था। इलाज के बाद टेस्ट में निगेटिव आने के बाद अस्पताल के अधिकारियों ने उनके परिवार से संपर्क किया। परिवार के सदस्यों ने कथित तौर पर बुजुर्ग को ले जाने से इनकार कर दिया। वह अभी भी कोविड सेंटर में रह रहे हैं। इसके बाद पुलिस को सूचित किया गया। पुलिस उन्हें वृद्ध आश्रम में रखने के बारे में विचार कर रही है। इस बारे में स्थानीय पुलिस स्टेशन के एक अधिकारी ने बताया कि वे फिलहाल कोरोना से रिकवर हो गए हैं, लेकिन अभी भी उन्हें क्वारंटाइन किया गया है। सात दिन पूरे होने के बाद भी उनके परिजन अगर उन्हें नहीं ले जाते तो हम उन्हें वृद्धाश्रम मे शिफ्ट कर देंगे।

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दूसरी घटना
दूसरी घटना में एक 66 वर्षीय महिला शामिल हैं। कोरोना टेस्ट में पॉजिटिव पाए जाने के बाद उनके बेटे ने उन्हें अस्पताल के बाहर फेंक दिया। स्वास्थ्य अधिकारियों और पुलिस ने बाद में उन्हें करुणा अस्पताल में भर्ती करा दिया। वहां उनका इलाज किया जा रहा है। लेकिन अधिकारियों का कहना है कि महिला का बेटा सहयोग नहीं कर रहा है। महिला का बेटा ऑटो चालक है। मिली जानकारी के अनुसार कोविड पॉजिटिव पाए जाने के बाद उनके बेटे ने महिला को माछरेला शहर के बस स्टैंड ले गया और वहीं अस्पताल के बाहर छोड़ दिया। वह उनसे ये कहकर चला गया कि वह पानी लाने जा रहा है।

 कोरोना काल में मानवता को शर्मसार करनेवाली ये पहली घटनाएं नहीं हैं। ऐसी ही कुछ घटनाएं पेश हैंः

  • जून में झारखंड के रामगढ़ में शव को कंधा देने के लिए चार लोग भी नहीं आए तो मृतक का भाई ठेले पर पार्थिव शरीर को रखकर श्मशाम ले गया।
  • जुलाई में कर्नाटक के बैंगलुरू में एक कोरोना के लक्षणवाले मरीज को 18 अस्पतालों ने इलाज करने से मना कर दिया। बाद में उसकी मौत हो गई।
  • नवंबर में मेरठ मेडिकल के इमरजेंसी वॉर्ड में 10 साल का घायल मासूम इलाज के लिए फर्श पर बैठा तड़पता रहा, लेकिन डॉक्टरों का दिल नहीं पसीजा। बाद में प्राचार्य के दखल देने के बाद उसे इलाज उपलब्ध कराया गया।
  • जुलाई में बिहार के भागलपुर में दवा लेने गए एक युवक की वहीं मौत हो गई और कोरोना के डर से उसका शव घंटों पड़ा रहा। बाद में पुलिस की हस्तक्षेप के बाद निगम के दो कर्मचारी वहां आए और उसके शव को उठाकर ले गए।
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