दिल्ली हिंसा प्रकरण: उमर खालिद और शरजील को आगे भी जेल या बेल? होगी सर्वोच्च सुनवाई

23 अगस्त को उमर खालिद की जमानत याचिका का विरोध करते हुए दिल्ली पुलिस ने उच्च न्यायालय में दलील दी थी कि शाहीन बाग का धरना महिलाओं की ओर से किया गया स्वतंत्र आंदोलन नहीं था।

144

दिल्ली उच्च न्यायालय 25 अगस्त को दिल्ली हिंसा के आरोपितों उमर खालिद और शरजील इमाम की जमानत याचिकाओं पर सुनवाई करेगा। जस्टिस सिद्धार्थ मृदुल की अध्यक्षता वाली बेंच सुनवाई करेगी।

23 अगस्त को उमर खालिद की जमानत याचिका का विरोध करते हुए दिल्ली पुलिस ने उच्च न्यायालय में दलील दी थी कि शाहीन बाग का धरना महिलाओं की ओर से किया गया स्वतंत्र आंदोलन नहीं था। धरना और प्रदर्शन स्थल योजनाबद्ध तरीके से मस्जिदों के नजदीक बनाए गए थे। दिल्ली पुलिस की ओर से स्पेशल पब्लिक प्रोसिक्यूटर अमित प्रसाद ने कहा था कि आरोपितों के व्हाट्सअप चैट में कहा गया कि धरना स्थलों पर ज्यादा हिन्दुओं को लाया जाए ताकि वो धर्मनिरपेक्ष दिखे। उन्होंने कहा कि शाहीन बाग का आंदोलन महिलाओं की ओर से किया गया स्वतंत्र आंदोलन नहीं था।

अमित प्रसाद ने कहा था कि दंगे के दौरान हर प्रदर्शन स्थल पर कानूनी मदद के लिए टीम थी। इस टीम का समन्वय डीपीएसजी नामक व्हाट्सअप ग्रुप के जरिये किया गया था। उन्होंने कहा था कि हर समय पुलिस ने कार्रवाई की लेकिन उसके तत्काल बाद वकीलों को कानूनी मदद के लिए भेजा गया। प्रदर्शनों में स्थानीय लोगों का समर्थन नहीं था। दूसरे स्थानों से लोगों को लाया जाता था। धरना स्थलों पर भाषण देने के लिए वक्ताओं और रंगकर्मियों को रखा गया था ताकि लोग ऊबें नहीं। यहां तक कि धरना स्थलों को मस्जिदों के नजदीक बनाया गया था।

ये भी पढ़ें – शिक्षक दिवस से इंडिया लिटरेसी मिशन शुरू करेगा कैट, व्यापारियों को होगा ये लाभ

प्रदर्शन स्थल पर समर्थकों की संख्या काफी कम
4 अगस्त को सुनवाई के दौरान दिल्ली पुलिस ने कहा था कि शाहीन बाग का प्रदर्शन नानी और दादी का नहीं था, जैसा कि प्रचारित किया गया। दिल्ली पुलिस की ओर से पेश स्पेशल पब्लिक प्रोसिक्यूटर अमित प्रसाद ने कहा था कि शाहीन बाग का आंदोलन शरजील इमाम की ओर से एक सुनियोजित तरीके से जुटाए गए संसाधनों द्वारा आयोजित किया गया था। प्रसाद ने कहा था कि प्रदर्शन स्थल पर समर्थकों की संख्या काफी कम थी। कलाकारों और संगीतकारों को बाहर से लाया जाता था ताकि स्थानीय लोग लगातार प्रदर्शन में हिस्सा लेते रहें।

दिल्ली में आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति
2 अगस्त को अमित प्रसाद ने कहा था कि 13 दिसंबर 2019 को सबसे पहली हिंसा हुई। ये हिंसा शरजील इमाम की ओर से पर्चे बांटने की वजह से हुई। अमित प्रसाद ने 13 दिसंबर को शरजील इमाम द्वारा जामिया में दिए भाषण का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि शरजील इमाम के भाषण में साफ कहा गया कि उसका लक्ष्य चक्का-जाम था और इस जाम के जरिये दिल्ली में आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति को बाधित करना था। शरजील के भाषण के तुरंत बाद दंगा भड़का। उसके बाद शाहीन बाग में प्रदर्शन का स्थल बनाया गया। बता दें कि अमित प्रसाद 1 अगस्त से दलीलें रख रहे हैं।

Join Our WhatsApp Community
Get The Latest News!
Don’t miss our top stories and need-to-know news everyday in your inbox.