कैग के बोल, राफेल बनानेवाली कंपनी कर रही है झोल

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नई दिल्ली। चीन और भारत के बीच बढ़ते तनाव के बीच राफेल लड़ाकू विमान को हमारी वायुसेना के बेड़े में शामिल किए जाने से हमारे जवानों का मनोबल निश्चित रुप से बढ़ृ गया है। हालांकि 36 में से अभी तक कुल पांच ही विमान भारत पहुंचे हैं,जबकि और पांच डिलीवरी के लिए तैयार हैं, लेकिन फिलहाल वे फ्रांस में ही हैं और हमारे पायलट वहीं ट्रेनिंग ले रहे हैं। लेकिन इस बीच कैग के नये खुलासे ने कंपनी की नीयत पर सवाल खड़े कर दिए हैं। कैग द्वारा संसद में पेश की गई रिपोर्ट में बताया गया है कि फ्रांस की इस कंपनी ने सौदे की शर्तों को पूरी नहीं किया है।
ऑफसेट शर्तों को पूरा नहीं करने का खुलासा
नियंत्रक व महालेखा परीक्षक( कैग) ने कहा है कि इस कंपनी ने अब तक डिफेंस रिसर्च और डेवलेपमेंट ऑर्गेनाइजेशन ( डीआरडीओ) के प्रति अपने ऑफसेट शर्तों को पूरा नहीं किया है। राफेल जेट पर कैग की यह रिपोर्ट अबतक का सबसे बड़ा खुलासा है उसने ऑफसेट से संबंधित नीतियों को लेकर रक्षा मंत्रालय की भी आलोचना की है। इस पॉलिसी के तहत सरकार ने फ्रांस की कंपनी दसॉल्ट एविएशन से 36 राफेल जेट की डील की है।
ये है ऑफसेट नीति की शर्त
ऑफसेट पॉलिसी के अनुसार किसी भी विदेशी कंपनी के साथ हुई डील की कीमत का कुछ हिस्सा भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की तरह आना जरुरी है। इसमें टेक्नोलॉजी ट्रांसफर,एडवांस कंपोनैंट्स की स्थानीय तौर पर मैन्यूफैक्चरिंग या फिर नौकरियां पैदा करने के दायित्व शामिल हैं। कैग की रिपोर्ट में कहा गया है कि 36 मीडियम मल्टी रोल कॉम्बेट एयरक्राफ्ट से जुड़े चार समझौतों के ऑफसेट में वेंडर दसॉल्ट एविएशन और एनबीडीए ने शुरुआत में यानी सितंबर 2015 में प्रस्ताव पेश किया था। इसके तहत यह तय किया गया था कि दसॉल्ट कंपनी अपनी ऑफसेट दायित्वों में से 30 प्रतिशत दायित्वों का पालन डीआरडीओ को उच्च श्रेणी की तकनीक देकर पूरा करेगी।
रक्षा मंत्रालय की आलोचना के साथ दी सलाह
संसद में पेश की गई कैग की रिपोर्ट में कहा गया है कि डीआरडीओ को हल्के कॉम्बेट जेट्स के (कावेरी) इंजन को देश में ही विकसित करने के लिए उनसे तकनीकी मदद चाहिए थी। लेकिन कंपनी ने आज तक इस बारे मे टेक्नोलॉजी को ट्रांसफर करने को लेकर कुछ नहीं किया है। कैग ने इस मामले में रक्षा मंत्रालय को सलाह देते हुए कहा है कि रक्षा मंत्रालय को इस नीति और दसॉल्ट कंपनी के काम करने की प्रणाली की समीक्षा करने की आवश्यकता है। उसे विदेशी कंपनी के साथ ही भारतीय उद्योग की ओर से ऑफसेट का फायदा उठाने में आनेवाली अड़चनों की पहचान कर उन्हे दूर करने के लिए कदम उठाने चाहिए।
दायित्वों को पूरा करने का किया था वादा
दसॉल्ट एविएशन कंपनी ने वादा किया था कि वो अपने दायित्वों को समय पर पूरा करेगी। लेकिन कोरोना संक्रमण के चलते यह प्रक्रिया सुस्त पड़ गई है। हम आपको बता दें कि भारत ने फ्रांस की इस कंपनी से 59 हजार करोड़ का करार किया है, जिसके तहत उसे भारत को 36 राफेल जेट देने हैं। इनमें से पांच भारत में पहुंच चुके हैं जबकि पांच अन्य के भी अक्टूबर में डिलीवरी किए जाने की उम्मीद है।

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