असम के मुसलमान कानून नहीं मानते, अपनी ही बेटियों के साथ कर रहे अन्याय

प्रशासन ने बाल विवाह को रोकने के लिए कई कदम उठाए हैं। अब से सरकारी काजी को छोड़कर जिला में किसी भी निजी काजी, इमाम या काजी के एजेंट को मुस्लिम शादियां कराने की इजाजत नहीं होगी।

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राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण की एक रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2019-20 में दक्षिण सालमारा-मानकचार जिला में मुस्लिम समुदाय में हुए कुल विवाहों में 44.5 प्रतिशत बाल विवाह हुए हैं। इस संदर्भ में 19 जुलाई को जिला प्रशासन ने जिला के 26 विभागों के प्रमुखों के साथ एक आपात बैठक की।

बैठक में जिला प्रशासन ने बाल विवाह को रोकने के लिए कई कदम उठाए हैं। अब से सरकारी काजी को छोड़कर जिला में किसी भी निजी काजी, इमाम या काजी के एजेंट को मुस्लिम शादियां कराने की इजाजत नहीं होगी।

जिले में तीन सरकारी काजी थे लेकिन बाल विवाह में शामिल दो सरकारी काजियों को जिला प्रशासन पहले ही सस्पेंड कर चुका है। वर्तमान में जिले में केवल एक सरकारी काजी है। मौलाना अबुल कलाम कासिमी नामक काजी को जिला के 35 गांव पंचायत क्षेत्रों में शादियां कराने में चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।

एक काजी के लिए जिला में एक दिन में अधिक शादियां कराना संभव नहीं है। इसलिए जागरूक नागरिकों ने मांग की कि जिला प्रशासन को चाहिए कि सरकार काजी के अधीन काजी का और उप-कार्यालय स्थापित करे।

जिला प्रशासन के निर्णय को जागरूक नागरिकों ने बाल विवाह पर रोक लगाने का स्वागत किया है। जिला में कम से कम पांच जिला परिषद क्षेत्रों में उप कार्यालय स्थापित करने की मांग की गयी है।

प्रशासन ने लोगों से भी आग्रह किया है कि जिला के किसी भी गांव या इलाके में अगर कोई व्यक्ति किसी किशोरी से गुपचुप तरीके से शादी करता है तो सरकारी काजी मौलाना अबुल कलाम कासिमी को इसकी सूचना दें।

मौलाना अबुल कलाम कासिमी बाल विवाह रोकने के लिए सक्रिय
मौलाना अबुल कलाम कासिमी लंबे समय से जिला में बाल विवाह को रोकने के लिए कई जागरुकता कार्यक्रम चला रहे हैं। उन्होंने मुस्लिम समुदाय में बाल विवाह को रोकने के लिए कई कदम उठाए हैं और बाल विवाह करने वाले निजी काजियों या इमामों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करके जागरूक समुदाय का ध्यान आकर्षित किया है।

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