वो 26/11 की शाम… मुंबई को डराया गया पर जिंदादिल और जाबांज फिर खड़ी हो गई

मुंबई पर हमला समुद्री मार्ग से आतंकी हमले की पहली बड़ी घटना थी। इसके जरिये पाकिस्तान में बैठे आतंकी आका और आईएसआई के अधिकारी दहलाने की कोशिश में थे, लेकिन जाबांजी के आगे दुश्मन हार गया।

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मुंबई में 26/11 की शाम रोजाना की तरह लोग अपना काम खत्म करके अपने घर लौट रहे थे। लेकिन उन्हें क्या पता कि आज वो अपने घर नहीं बल्कि आतंक के साए में जा रहे हैं। 26/11 को आतंकियों का सबसे पहला निशाना बना कोलाबा का लियोपोल्ड कैफे जहां अधिकतर विदेशी सैलानी मौजूद रहते हैं। इसके अलावा फिर शहर के दूसरे हिस्सों से गोलीबारी की खबर आने लगी मसलन ओबेरॉय होटल, सीएसएमटी स्टेशन और नरीमन हाउस।

शहर में फायरिंग के सबसे पहली खबर आई तो ऐसा लगा कि ये कोई गैंगवार है। थोड़ी ही देर में ये स्पष्ट हो गया की यह गैंगवार नहीं बल्कि देश की आर्थिक राजधानी पर हुआ आतंकी हमला था। हमले के घंटों बाद तक सुरक्षा एजेंसियां ये समझने में नाकाम थी कि, शहर में कितने आतंकी घुसे हैं। हमले के बाद एक मात्र जिंदा और गिरफ्तार आतंकी ने खुलासा किया की उसके अलावा 9 आतंकियों ने इस हमले को अंजाम दिया था। जिसमें से लियोपोल्ड कैफे में फायरिंग करके दो आतंकी होटल ताज में प्रवेश कर चुके थे। वे वहां दो अन्य आतंकियों के साथ मिल लिए। तो वहीं दस में से 2 आतंकी बधवार पार्क से रबर की डेंगी लेकर बढ़े और होटल ओबेरॉय ट्राईडेन्ट में प्रवेश किया, तभी नरीमन हाउस में भी 2 आतंकियों ने लोगों को बंधक बना लिया।

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इन आतंकियों के अलावा अजमल कसब और उसका साथी अबू इस्माइल छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस पर मौत का तांडव कर रहे थे। स्टेशन पर लाशों का ढेर बिछाकर ये दोनों निकल पड़े कामा अस्पताल की ओर। वहां भी इन्होंने इलाज करा रहे लोगों को निशाना बनाया। कामा असमतल में लाशें गिराने के बाद पुलिस के महकमे के तीन तेज तर्रार अफसर इनकी गोलियों का निशाना बने। जिसमें हेमंत करकरे, विजय सालस्कर और अशोक कामटे शहीद हो गए। जिससे देश को गहरा धक्का पहुंचा। एक तरफ जहां बाकी आतंकी अपने अपने टारगेट्स पर जमे हुए थे, पुलिस इन दो आतंकियों से मुठभेड़ कर रही थी, जिसमें तुकाराम ओम्बले जैसे बहादुर पुलिस वाले ने एके 47 का मुकाबला अपनी लाठी से किया। इस मुठभेड़ में अबू इस्माइल तो मर गया, लेकिन अजमल कसब को जिंदा पकड़ लिया गया। जो की देश के लिए एक ऐसा सबूत था जैसा उसे पहले कभी नहीं मिला।

जाबांज सुरक्षाकर्मी दे रहे थे प्रत्युत्तर
धमाकों और फायरिंग के बीच तकरीबन 400 आर्मी कमांडो, 300 नेशनल सिक्योरिटी गार्ड्स, मार्कोस कमांडो और मुंबई पुलिस खून की होली खेल रहे आतंकियों पर काबू पाने के लिये मुकाबला कर रही थी। ताज होटल में हमले के दौरान कई विदेशी, जानेमाने व्यवसायी, नेता मौजूद थे। ताज-ट्राईडेन्ट होटल और नरीमन हाउस में फंसे लोग अपनी जान की सलामती की दुआ मांग रहे थे। आखिरकार दो दिन के लगातार फायरिंग के बाद सुरक्षा बलों ने ताज होटल, नरीमन हाउस और ट्राइडेन्ट होटल को आतंकियों के चंगुल से मुक्त कराया। सुरक्षा बल लोगों को सुरक्षित बाहर निकालने में कामयाब हो गए। इन 60 घंटों ने शहर को हिला कर रख दिया। लगभग 166 लोगों की मौत हो गई थी, घायल और मरनेवालों में कई विदेशी सैलानी भी थे।

सुरक्षा बलों को बड़ी कामयाबी
मुंबई आतंकी हमले में 9 आतंकवादी मारे गए और एक आतंकवादी अजमल आमिर कसाब को जिंदा पकड़ लिया गया। इस घटना की जांच से यह पता चला की वो आतंकवादी कराची से समुद्र के रास्ते मुंबई में घुसे थे। उन्होंने स्पीड बोट और मछुआरों के ट्रॉलर की मदद से प्रवेश किया था। ऐसा पहली बार हुआ था कि किसी भी आतंकी घटना को अंजाम देने के लिये आतंकवादियों ने समुद्री मार्ग का उपयोग किया हो।

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