महाराष्ट्र कोरोना के बुरे संक्रमण से पीड़ित है। प्रतिदिन साठ हजार के लगभग नए संक्रमित सरकार की चिंता बढ़ा रहे हैं। संक्रमितों की सेवा में रात दिन लगे स्वास्थ्य कर्मियों का पूरा विश्व आभार प्रकट कर रहा है। लेकिन मुनाफाखोरों का धंधा मानवता का दम घोंट रहा है। ऐसा ही एक काला कारोबार मुंबई से सटे ठाणे जिले के उल्हासनगर में सामने आया है।
यहां वायरल वीडियो में सामने आया है कि कोरोना स्वैब टेस्ट की स्टिक लोग घरों में ले जाकर पैक कर रहे हैं। ये पैकिंग करनेवाले झोपड़ी में रहनेवाले लोग हैं। कुछ बहुत छोटे बच्चे तो उसी में उछल कूद भी कर रहे हैं। इसलिए ये स्वैब स्टिक कितना संक्रमण मुक्त है, इसकी गारंटी कोई नहीं ले सकता।
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जागा प्रशासन
उल्हासनगर के कैंप 2 में पैक हो रही स्वैब स्टिक का वीडियो जब वायरल हुआ तो प्रशासन हरकत में आ गया। पुलिस और उल्हासनगर महानगर पालिका प्रशासन ने आनन-फानन में इसका संज्ञान लेते हुए इसका रिपोर्ट तैयार किया। मनपा के प्रवक्ता युवराज भदाणे ने बताया कि इसकी रिपोर्ट अन्न व औषधि प्रशासन को दे दी गई है। इसके अलावा पुलिस बाल मजदूरी कानून के अंतर्गत भी कार्रवाई की प्रक्रिया कर रही है।
इतने मिलते हैं पैसे
इस वीडियो में परिवारों से पूछा गया है कि कितने पैसे मिलते हैं तो उन्होंने बड़े मजे से बताया कि एक हजार स्वैब स्टिक पैक करने के उन्हें बीस रुपए मिलते हैं। इसलिए लोग घरों में इस स्टिक को लाकर बच्चों समेत पैकिंग करते हैं। उन्हें इसका भी ध्यान नहीं है कि इससे ये स्टिक संक्रमित हो सकती हैं।
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स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़
कोरोना का संक्रमण कब कहां मिल जाए यह कोई बता नहीं सकता। ऐसे में कोरोना जांच के लिए उपयोग की जानेवाली स्वैब स्टिक का ऐसा व्यवसाय लोगों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ ही कहा जाएगा। घर में जमीन पर रखकर, बच्चों की उछल कूद के बीच पैक होते ये स्टिक कब संक्रमित हो जाएं पता नहीं और आगे कितने लोगों को संक्रमित करेंगे इसका अंदाजा भी नहीं लग पाएगा।