मदरसों को बंद करो, वहाबी सेंटरों से ही निकले हैं पाकिस्तान में बैठे आतंकी – कैप्टन सिकंदर रिजवी

वीर सावरकर कालापानी मुक्ति व्याख्यानमाला की शृंखला चल रही है। कोरोना संक्रमण के कारण इसे दूरदृष्टि के माध्यम से आयोजित किया गया है। इस शृंखला के तीसरे संबोधन में वीर सावरकर को अपना आदर्श माननेवाले कैप्टन सिकंदर रिजवी ने संबोधित किया।

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कैप्टन सिकंदर रिजवी ने इस्लाम के वहाबीकरण, मुस्लिमों के अल्पसंख्यक दर्जे को क्यों हटाया जाए और क्यों मुसलमानों को हिंदुओं का ऋणी होना चाहिए इस पर बेहद प्रखरता से अपने विचार रखे। उन्होंने वीर सावरकर कालापानी मुक्ति शताब्दी व्याख्यानमाला में स्पष्ट कहा कि देश में अब मुस्लिम अल्पसंख्यक नहीं रहा है। अल्पसंख्यक के रूप में उसे मिलनेवाली सुविधाओं को तत्काल खत्म कर देना चाहिए।

मदरसे तत्काल हों बंद
सिकंदर रिजवी ने कहा वहाबी सेक्ट तो मात्र डेढ़-दौ सौ साल पहले शुरू हुआ। इसके पहले भारत के सभी मुस्लिम होली खेलते थे, दिवाली मनाते थे लेकिन वहाबियों ने देखा कि मुस्लिम तो ऐसे हिंदू बन जाएंगे, तो उन्होंने कट्टरवादी प्रवृत्तियों को उत्पन्न किया। सहारनपुर में इनका मुख्य केंद्र है लखनऊ के नदवा में भी मदरसा है। यहीं से पढ़कर हाफिज सईद और पाकिस्तान में बैठे आतंकी गए हैं। इसलिए इन पर कार्रवाई करना चाहिए।

ये छोटे बच्चों को पढ़ाने के नाम पर उनका ब्रेन वॉश करते हैं। इन सभी मदरसों को सरकार के अधीन ले लेना चाहिए वहां कुरान पढ़ाएं, लेकिन अन्य विषयों की पढ़ाई देश की शिक्षा प्रणाली के अनुसार होनी चाहिए। छोटे मदरसे जहां पांच-दस छात्रों को लेकर पढ़ाया जा रहा है उन्हें तो तुरंत बंद ही कर देना चाहिए। छोटे बच्चों के ब्रेन वॉश करके उन्हें बम लगाकर भेज देते हैं, ये कैसा इस्लाम है? इन सबको तत्काल रोकने की आवश्यकता है। यही रोहिंग्या हैं, बांग्लादेशी हैं। आज जितने भी मदरसे चल रहे हैं उन्हें तत्काल सरकार अपने अधीन ले, या उन्हें बंद कर दे। वहां वहाबी कट्टरवाद पढ़ाया जा रहा है।

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मुसलमानों को हिंदुओं का ऋणी होना चाहिए
मुसलमानों में हिंदुओं के प्रति फैलाई जा रही नफरतों के मद्देनजर
सिकंदर रिजवी ने इस्लाम की दो बड़ी लड़ाइयों का उल्लेख किया। इसके माध्यम से उन्होंने कहा कि वास्तव में तो मुसलमानों को हिंदुओं का ऋणी होना चाहिए।

  • जिसमें पहली लड़ाई इमाम हुसैन को हमले से बचाने की थी। यह लड़ाई कर्बला में हुई थी। जिसमें इमाम हुसैन को यज़िदों ने घेर लिया था। इस लड़ाई में हिंदू राजा दाहिर ने रेहत दत्त को भेजा था। वे अपनी सेना लेकर गए थे। लेकिन उनके पहुंचने के पहले ही इमाम हुसैन को शहीद किया जा चुका था। इसके बाद यज़ीद, इमाम हुसैन के परिवार महिलाओं को और उनके सिर को दमिश्क लेकर चले गए। वहां वे इमाम हुसैन के सिर से खेल रहे थे। इसे हासिल करने के लिए रेहत दत्त ने यज़ीद की फौज को घेर लिया और वहां बड़ी लड़ाई हुई।
  • इसके बाद दूसरी घटना में मोहम्मद बिन कासिम ने इमाम हसन के बेटों की हत्या के लिए हमला किया था। जिन्हें बचाने के लिए राजा दाहिर ने लड़ाई की थी। इस लड़ाई में राजा दाहिर के तीन बेटों ने शहादत दी थी।

बंगाल में गजवा ए हिंद
पश्चिम बंगाल में हो रही हिंसा की घटनाओं पर सिकंदर रिजवी ने करारा प्रहार किया। उन्होंने वहां तत्काल राज्यपाल शासन लगाने की मांग की। वे बोले वहां गजवा ए हिंद के अंतर्गत ये सब हो रहा है। इसके पीछे बंगाल को देश से अलग थलग करने की साजिश है। बंगाल में सत्ताधारियों को सत्ता की लालच में कुछ नहीं दिख रहा है। लेकिन उसे अंदर ही अंदर मुगलिस्तान बनाने की साजिश हो रही है। हम सभी को खुलकर आना होगा।

मुस्लिमों को अल्पसंख्यक दर्जा न मिले
देश में मुस्लिमों की जनसंख्या 22-22 करोड़ होने का दावा हो रहा है, लेकिन अनुमान है कि वे 17 करोड़ ही होंगे। फिर भी अब मुस्लिमों को अल्पसंख्यक नहीं कहा जा सकता। कई राज्यों में तो हिंदू पांच प्रतिशत ही बचे हैं। राज्यवार अल्पसंख्यकों का दर्जा दिया जाना चाहिए। नागालैंड, पुदुच्चेरी को देख लीजिये। इसके अलावा भी कई प्रदेश हैं। हम शिया भी अल्पसंख्यक हैं। शिया को मारा जा रहा है।

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तो मैं मुस्लिम धर्म छोड़ने को तैयार हूं
वो सीना ठोंककर बोले मुगलों को पूरा अवसर दिया गया कि वे भारत की संस्कृति को छिन्नभिन्न कर दें। उन्होंने मंदिर तोड़े, हमले किये, लोगों के साथ ज्यादतियां की। यदि यह मेरे धर्म में लिखा है तो मैं तुरंत धर्म छोड़ने को तैयार हूं। आज भी विघटनकारियों को अवसर मिलता है तो वे तुरंत तोड़फोड़ करने लगते हैं। जो अपने नबी के नहीं हुए वे किसी और के क्या होंगे?

और आंखे डबडबा आईं, गला रुंध गया
स्वातंत्र्यवीर सावरकर के हिंदुत्व पर उनके ग्रंथों में दर्ज भारत भूमि की परिभाषा पर सिकंदर रिजवी ने विस्तृत प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि हिंदू होने के लिए वेदों को पढ़ना ही आवश्यक नहीं है। मैं वेद नहीं पढ़ता लेकिन मैं हिंदू हूं। कोई भी राष्ट्र भौगोलिक, सामाजिक, जनसमुदाय और सांस्कृतिक रूप से एकजुट होकर ही मजबूत बनता है।

वीर सावरकर कालापानी मुक्ति शताब्दी व्याख्यानमाला शृंखला में कैप्टन सिकंदर रिजवी ने डंके की चोट पर कहा कि वे सनातनी हैं, हिंदू हैं और यहां रहनेवाला हर मुस्लिम, ईसाई सनातनी है। वीर सावरकर भारत के पहले स्वतंत्रता सेनानी हैं जिन्हें अंग्रेजों ने स्वतंत्रता सेनानी घोषित किया था। उनका बहुत बड़ा त्याग है, उन्होंने इस राष्ट्र के लिए बहुत ही दयनीय परिस्थितियों का सामना किया। कैप्टन सिकंदर रिजवी हिंदू राष्ट्र शक्ति संगठन के संस्थापक हैं। जिसके आदर्श स्वातंत्र्यवीर सावरकर और स्वामी विवेकानंद हैं। उन्होंने वीर सावरकर के लिए भारत रत्न की मांग की।

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